डीएनए हिंदी: डीएमके सांसदों और नेताओं का हिंदी पट्टी के राज्यों और हिंदी बोलने वाले लोगों के लिए विवादित बयान देने का सिलसिला जारी है. डीएनवी सेंथिलकुमार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान उत्तर भारत के राज्यों को गौमूत्र राज्य बताया था. हालांकि, बाद में उन्होंने अपना बयान वापस से लिया. अब सांसद दयानिधि मारन ने कहा कि बिहार-यूपी के लोग जो सिर्फ हिंदी सीखते हैं वो तमिलनाडु में जाकर निर्माण कार्य में लग जाते हैं या फिर टॉयलेट साफ करने जैसे छोटे-मोटे काम करते हैं. मारन के इस विवादिय बयान के बाद एक बार फिर राजनीतिक विवाद बढ़ गया है. इससे पहले भी दक्षिण भारत के कई नेताओं ने हिंदी को लेकर पूर्वाग्रह से भऱे बयान दिए हैं.
डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने अपने नेताओं को नसीहत दी थी कि वह विवादित बयानों से बचें. हिंदी सीखने के परिणाम और रोजगार के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि बिहार-यूपी के जो लोग सिर्फ हिंदी सीखते हैं वह बड़ी और तमिलनाडु में जाकर निर्माण कामों में मजदूर बन जाते हैं. ऐसे लोग छोटी-मोटी नौकरी जैसे कि टॉयलेट साफ करने का काम करते हैं. यह सिर्फ हिंदी जानने के परिणाम को दिखाता है.
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DMK नेता की टिप्पणी पर बीजेपी ने मांगा नीतीश कुमार से जवाब
सोशल मीडिया पर दयानिधि मारन की यह टिप्पणी खूब शेयर की जा रही है. बीजेपी नेताओं ने तो इस पर नीतीश कुमार से भी जवाब मांगा है. दरअसल नीतीश कुमार और डीएमके दोनों ही इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उत्तर बनाम दक्षिण भारत का मुद्दा गर्माता जा रहा है. किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए डीएमके सुप्रीमो ने अपने पार्टी के नेताओं को हिंदी भाषा और हिंदी पट्टी के राज्यों को लेकर टिप्पणी करने से बचने की सलाह दी है.
DMK के कई नेता पहले भी कर चुके हैं विवादित टिप्पणियां
हिंदी और सनातन पर विवादित बयान देने का डीएमके नेताओं के बीच एक ट्रेंड सा चल गया है. इससे पहले उदयनिधि स्टालिन ने सनातन पर टिप्पणी करते हुए इसकी तुलना गंदगी और कीड़े मकोड़े से कर दी थी. कुछ दिन पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री ए. राजा का भी सनातन को लेकर एक विवादित बयान देने का वीडियो वायरल हुआ था. सेंथिलकुमार ने तो हालिया चुनावी नतीजों के बाद हिंदी पट्टी को गौमूत्र वाले राज्य तक कह दिया था.
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