डीएनए हिंदी: वाराणसी में ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के मामले में गुरुवार को मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका मिला. इलाहाबाद कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पर लोग लगाने से मना कर दिया. कोर्ट ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने अपनी-अपनी दलीलें दी. जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. इसी मुद्दे को लेकर सौरभ राज ने डीएनए टीवी शो किया. आइए जानते हैं कि इस मामले में क्या कुछ हुआ है?
ज्ञानवापी परिसर को लेकर हिंदू पक्ष हमेशा यही दलील देता है कि ज्ञानवापी में साफ दिखाई देता है कि वहां प्राचीन मंदिर था, और इसे साबित करने के लिए किसी सबूत की जरूरत नहीं है. कई बार प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत पड़ती है. खासकर तब, जब उस सच को एक पक्ष मानने से इंकार कर दे. ऐसे में ज्ञानवापी परिसर के सच को सामने लाने के लिए, आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. आइए जानते हैं कि हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी के ASI सर्वे का फैसला किस आधार पर सुनाया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि न्याय के लिए ASI का सर्वे जरूरी है. कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की आवश्यकता है. हाईकोर्ट ने ASI से कहा है कि सर्वे कीजिये लेकिन बिना खुदाई किए. इस तरह अपने आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी जिला जज के आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें ASI को ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की इजाजत दी गई थी. मस्जिद इंतजामिया कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया था और अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी दोनों पक्षों को सुनने के बाद सर्वे करवाने का आदेश दिया है.
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दोनों पक्षों की तरफ से क्या-क्या तर्क दिये गये?
मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में दलील दीं कि ज्ञानवापी परिसर की पश्चिमी दीवार और मस्जिद के नीचे मंदिर की मौजूदगी कोरी कल्पना है. बिना किसी सबूत के ASI सर्वे की इजाजत नहीं दी जा सकती. सर्वे से ज्ञानवापी के मूल स्वरूप को नुकसान हो सकता है. 1991 के Places of Worship Act के तहत केस सुनवाई लायक ही नहीं है. ये मुस्लिम पक्ष की दलीलें थीं कि जिन्हें हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. हिन्दू पक्ष ने दलील दी कि सर्वे से संरचना की सच्चाई सामने आएगी. सर्वे ये पता लगाने में मदद करेगा कि क्या हिंदू मंदिर के ऊपर दूसरी संरचना का निर्माण किया गया था. सर्वे में मस्जिद की संरचना को कोई नुकसान पहुंचाए बिना काम होगा, सर्वे होने से सच्चाई सामने आ जाएगी. हाईकोर्ट में ASI ने भी स्पष्ट किया है कि ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.
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हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अब मुस्लिम पक्ष, सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है लेकिन ASI और प्रशासन ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की तैयारियां शुरु कर दी हैं. ASI के सर्वे में पता किया जाएगा कि क्या मंदिर को ध्वस्त कर यहां मस्जिद का निर्माण किया गया था? ज्ञानवापी में आदि विश्वेश्वर का मंदिर कब बना था? ज्ञानवापी परिसर में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां कबसे स्थित हैं? ज्ञानवापी परिसर में मौजूदा संरचना कितनी पुरानी है? हालांकि ASI की टीम जो सर्वे करेगी, वो ज्ञानवापी परिसर में स्थित वजूखाने और वहां कथित शिवलिंग का सर्वे नहीं करेगी क्योंकि ये मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है.
ज्ञानवापी परिसर में कहां-कहां होगा?
ASI ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार, मस्जिद के तीनों गुंबद के नीचे और मस्जिद परिसर में मौजूद तहखाना पर सर्वे करेगा. आज हाईकोर्ट ने ASI को साफ-साफ निर्देश दिया है कि सर्वे के दौरान किसी भी संरचना को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए और ना कोई खुदाई होनी चाहिए. हाईकोर्ट से ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे को हरी झंडी मिलने के बाद ASI के पूर्व Additional Director Genera में यहां हाईकोर्ट ने एक बात और Clear की है कि ASI ये सर्वे पूरी तरह वैज्ञानिक पद्धति से करेगी.
इन वैज्ञानिक पद्धतियों से होगा सर्वे
1) GPR यानि Ground Penetrating Radar System का इस्तेमाल होगा.
2) GRS यानि Geo Radiology System का भी प्रयोग होगा.
3) Carbon Dating पद्धति से वहां मौजूद चीजों की उम्र पता की जाएगी.
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