DNA TV Show: इस कंपनी ने दिया है सबसे ज्यादा चंदा, यहां समझें Electoral Bond की गुणा-गणित

कविता मिश्रा | Updated:Mar 15, 2024, 11:02 PM IST

DNA TV Show

DNA TV Show: इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) ने 14 मार्च को Electoral Bond से जुड़ा डेटा जारी कर दिया. जिसके बाद से विपक्षी दल कई तरह के सवाल उठा रहे हैं.

DNA TV Show: इस कंपनी ने दिया है सबसे ज्यादा चंदा, यहां समझें Electoral Bond की गुणा-गणित 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए चुनाव आयोग ने Electoral Bond का Dataकल यानी गुरुवार शाम अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया. जिसे अब सार्वजनिक तौर पर हर कोई देख सकता है. चुनाव आयोग को ये Data SBI ने 12 मार्च को मुहैया कराया था. चुनाव आयोग के सार्वजनिक किए गए Data के मुताबिक 1,260 कंपनियों और लोगों की तरफ से कुल 12 हज़ार सात सौ उन्हत्तर करोड़ के चुनावी Bond खरीदे गए.  

इन Bondsको अलग-अलग राजनीतिक दलों ने अलग अलग समय पर भुनाया. Electoral Bond के Data से जो बातें सामने आई हैं. उनसे पता चला है कि

इसमें से कुछ जानकारी पहले से Public Domain में थी, जैसे किस पार्टी को कितना चंदा मिला है क्योंकि हर राजनीतिक दल को अपनी वेबसाइट पर चुनावी चंदे की जानकारी सार्वजनिक करनी होती है. जो पहले से वोटर्स की जानकारी में थी इसलिए Electoral Bond का Data सार्वजनिक होने के बाद भी कई सवालों का जवाब नहीं मिला है. किस कंपनी या व्यक्ति ने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया है, इस सवाल का जवाब Electoral Bond के नंबर से मिल सकता है लेकिन SBI ने Electoral Bond का नंबर ECI को उपलब्ध नहीं कराया. ऐसे में सवाल है कि क्या कंपनी की आड़ में किसी और का पैसा तो चंदे में नहीं दिया गया है और क्या राजनीतिक चंदे के बदले कंपनियों को कोई लाभ पहुंचाया गया है?


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ECI द्वारा डाले गए डाटा से नहीं मिल रही पूरी जानकारी 

जो Data कल से ECI की वेबसाइट पर उपलब्ध है, उससे ऐसी कोई जानकारी नहीं मिलती जबकि Electoral Bond के जरिये राजनीतिक चंदे पर रोक और वर्ष 2019 से फरवरी 2024 तक का Data सार्वजनिक करने के पीछे तर्क यही था कि वोटर्स को पूरी जानकारी मिल सके. वोटर्स ये जान सके कि किस राजनीतिक दल को किस कंपनी या व्यक्ति विशेष से कितना चंदा मिला है लेकिन SBI से मिला जो Data ECI ने वेबसाइट पर जारी किया है, उससे पूरी जानकारी नहीं मिलती इसलिए आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने Electoral Bond नंबर उपलब्ध ना कराने को लेकर SBI को नोटिस जारी किया. अब सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में SBI के Electoral Bond नंबर उपलब्ध ना कराने को लेकर सुनवाई होगी. हालांकि, Electoral Bond के Data थोड़े चौंकाने वाले जरूर हैं.  देश के बड़े बिजनेस ग्रुप जैसे टाटा, अंबानी और अडाणी का नाम Electoral Bond खरीदने वालों की लिस्ट में शामिल ही नहीं है। जिस तरह से विपक्षी दलों के नेता और खासकर राहुल गांधी माहौल बना रहे थे.  उससे एक आम धारणा बनाई गई थी कि Electoral Bond खरीदने वालों की लिस्ट में अडाणी, अंबानी और टाटा ग्रुप जैसी कंपनियों का नाम सबसे ऊपर होगा लेकिन, जो लिस्ट सामने आई है, उसमें तीन सबसे बड़ी कंपनियों के नाम तो बहुत कम ही लोगों को पता होंगे.

इन कंपनियों ने दिया सबसे ज्यादा चंदा 

Data में टाटा, अंबानी और अडाणी ग्रुप नहीं है जिक्र 

ECI की वेबसाइट पर Electoral bond के Data में टाटा, अंबानी और अडाणी ग्रुप के चंदा देने का जिक्र नहीं है लेकिन ऐसा नहीं कि इन ग्रुप ने चंदा ही नहीं दिया होगा बल्कि राजनीतिक दलों को दिये गये चंदे का कुछ Dataबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट के पास है. जिसे सार्वजनिक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई. अब लिफाफे में बंद Data चुनाव आयोग को दिया जायेगा. राजनीतिक दलों को Electoral bond के जरिये व्यक्तिगत तौर पर भी 8 से लेकर 45 करोड़ तक चंदा दिया गया है लेकिन यहां भी स्पष्ट नहीं है कि किस व्यक्ति ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया. जिस उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने Electoral Bond से चुनावी चंदा लेने पर रोक लगाई थी और Data सार्वजनिक करने का आदेश दिया था, ECI की वेबसाइट पर उपलब्ध Data से उद्देश्य ही पूरा नहीं होता. 


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Electoral Bond Data को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू 

Electoral Bond Data सार्वजनिक किये जाने के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. इसके पीछे दलील ये दी गई है कि सबसे ज्यादा चुनावी चंदा BJP को मिला है. 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक BJP को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए मिले हैं. अभी जो Data उपलब्ध है, उससे ये तो स्पष्ट है कि BJPको सबसे ज्यादा चंदा मिला लेकिन ये Clearनहीं है कि BJP को चंदा किस-किस कंपनी से मिला. कंपनियों ने कई-कई Electoral bond खरीदे हैं,  ऐसे में अलग-अलग दलों को चंदा दिया गया होगा लेकिन विपक्षी दलों का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी BJP ने चंदे के बदले कंपनियों को फायदा पहुंचाया. 

बीजेपी के TMC को मिला है सबसे ज्यादा चंदा 

विपक्षी दलों के लगाए आरोपों में अगर कुछ सच्चाई भी है, तो यहां सवाल ये कि Electoral bond के जरिये चंदा सिर्फ BJP को तो नहीं मिला है. चुनावी चंदा तो देश के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को भी मिला है और इस मामले में BJP के बाद ममता बनर्जी की पार्टी TMC दूसरे नंबर पर है. 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक BJP को कुल 6 हज़ार 60 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जबकि दूसरे नंबर पर TMC को 1,609 करोड़ रुपये चंदे में मिले हैं. तीसरे नंबर पर कांग्रेस है जिसे 1,421 करोड़ रुपये का चंदा मिला, चौथे नंबर पर BRS यानी Bharat Rashtra Samithi है, जिसे चंदे के रूप में 1,214 करोड़ रुपये मिले. वहीं पांचवे नंबर पर BJD यानी बीजू जनता दल है, जिसे 775 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. 


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समझिए पूरा  गुणा-गणित 

Electoral bond से सबसे ज्यादा चंदा लेने वाले पांच राजनीतिक दलों में BJP और कांग्रेस ही राष्ट्रीय पार्टी है, जबकि बाकी तीनों क्षेत्रीय दल हैं. विपक्षी नेता कहते हैं कि BJP को ज्यादा चंदा इसलिए मिला क्योंकि, पार्टी ने चंदे के बदले कंपनियों को फायदा पहुंचाया.  ऐसे तो TMC और बाकी दो क्षेत्रीय दलों को भी करोड़ों में चंदा मिला है और इसमें तो TMC दूसरे नंबर पर है. पश्चिम बंगाल में TMC की सरकार भी है, TMC को बीजेपी के बाद ज्यादा चंदा मिलने के पीछे भी क्या दानकर्ताओं को लाभ पहुंचाना ही है.  इसी तरह कांग्रेस को भी करोड़ों में चंदा मिला है, जबकि वर्ष 2019 के बाद कई राज्यों में कांग्रेस की सरकार रही तो क्या इसका मतलब ये कि चंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के बदले मिला. हालांकि, बिजनेस ग्रुप और राजनीतिक दलों के बीच सबंध होते हैं, 15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने Electoral bond पर फैसला सुनाते हुए कहा था. प्राथमिक स्तर पर, राजनीतिक योगदान, योगदानकर्ताओं को मेज पर सीट देता है यानी ये कानून निर्माताओँ तक पहुंच बढ़ाता है । ये पहुंच, सरकारी नीतियों के निर्माण पर प्रभाव में तब्दील हो जाती हैं.  बहुत संभावना ये है कि इससे किसी कंपनी को किसी राजनीतिक दल को आर्थिक योगदान के बदले अन्य तरीके से लाभ लेने की व्यवस्था को बढ़ावा मिलता है क्योंकि पैसे और राजनीति में घनिष्ठ संबंध है. ऐसे में अगर BJP को दानकर्ताओं को लाभ पहुंचाने के बदले ज्यादा चंदा मिला है तो इससे बाकी राजनीतिक दल भी बचे नहीं होंगे लेकिन ECI के Data के आधार पर ये कहना कि चंदे के बदले राजनीतिक दल ने कंपनी को फायदा पहुंचाया है, उचित नहीं होगा क्योंकि, अभी जो Data ECI की वेबसाइट पर है, उससे ये साफ नहीं होता कि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है. 

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