गाजियाबाद में ड्रग डिपार्टमेंट, क्राइम ब्रांच और स्थानीय पुलिस ने एक ऐसी फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है, जहां नकली दवाएं बनाई जा रही थीं. नकली दवाओं की फैक्ट्री साहिबाबाद इलाके के औद्योगिक क्षेत्र की एक छोटी सी जगह में चल रही थी. टीम ने 1 करोड़ 10 लाख रुपये की नकली दवाएं बरामद की हैं. साथ ही नकली दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल भी बरामद किया है.
Drugs Department के मुताबिक, फैक्ट्री में ज्यादातर नकली Genric दवाएं बनाई जा रही थीं. जिनकी देश में सबसे ज्यादा मांग रहती है. इनमें गैस, शुगर और बीपी की दवाएं भी शामिल हैं. जिन्हें ब्रांडेड कंपनी की दवाओं के रैपर में पैक करके बाजार में बेचा जा रहा था.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साल 2023 की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इस समय 101 मिलियन यानी 10 करोड़ 10 लाख लोग शुगर से पीड़ित हैं. जो कि वर्ष 2021 के मुकाबले 36 फीसदी ज्यादा हैं. इंटरनेशनल डायबिटिक फेडरेशन के मुताबिक साल 2021 में भारत में 74.2 मिलियन यानी 7 करोड़ 42 लाख लोग शुगर से पीड़ित थे.
रिपोर्ट के अनुसार भारत में 136 मिलियन यानी 13 करोड़ 60 लाख लोग प्री-डायबिटिक हैं. ये डायबिटिक होने से ठीक पहले की स्टेज होती है. देश में गोवा में सबसे ज्यादा 26.4 फीसदी लोगों को शुगर है, जबकि उत्तर-प्रदेश में सबसे कम 4.8 फीसदी लोगों को शुगर की समस्या है. ज्यादातर पीड़ित शुगर कंट्रोल करने के लिए दवाएं लेते हैं, ऐसे ही मरीजों की मजबूरी का फायदा नकली दवा बनाने वाले माफिया उठाते रहे हैं. जो ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं के नाम पर नकली दवाएं बाजार में बेच रहे हैं.
गाजियाबाद की नकली दवा फैक्ट्री में भी शुगर और बीपी की नकली दवाएं बड़े स्तर पर बनाई जा रही थी. जबकि बीपी यानी उच्च रक्तचाप के मरीजों की संख्या भी भारत में बहुत तेजी से बढ़ रही है. एक स्टडी के मुताबिक, साल 2019 में दुनिया में 130 करोड़ लोग BP से पीड़ित थे, जोकि वर्ष 1990 के मुकाबले दोगुना हैं. वर्ष 1990 में दुनिया में 65 करोड़ लोग BP की समस्या से पीड़ित थे. दुनिया में 30 से 80 आयु वर्ग के प्रत्येक तीन में से एक व्यक्ति को बीपी की समस्या है.
भारत में कितने लोग BP के शिकार?
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ही 18 करोड़ 80 लाख लोग बीपी से प्रभावित हैं. अगर इस बीमारी को लेकर जरूरी कदम उठाए जाए तो साल 2050 तक 7 करोड़ 60 लाख लोगों को BP की वजह से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है. भारत में भी BP के 6 करोड़ 70 लाख मरीजों को प्रभावी ढंग से इलाज दिया जाए तो वर्ष 2040 तक 4 करोड़ 60 लाख लोगों को BP की वजह से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है.
नकली दवा माफियाओं का नेटवर्क दिल्ली से लेकर कोलकाता तक फैला हुआ है. नकली दवा फैक्ट्रियों पर छापेमारी होती है. आरोपियों को गिरफ्तार किया जाता है, लेकिन नकली दवाओं के धंधे पर अबतक रोक नहीं लगाई जा सकी है. सैंकड़ों करोड़ की नकली दवाएं अब भी बाजार में मौजूद हैं. ऐसे में एक आम इंसान जब दवा खरीदने जाता है, तब उसके लिए सबसे बड़ी समस्या होती है. किसी दवा के नकली या असली होने की पहचान करना. क्योंकि, नकली दवाएं बनाने वाले इतनी सफाई से इस काम को करते हैं कि असली-नकली दवा की पहचान करना मुश्किल होता है.
कैसी होती हैं नकली दवाएं
अगर आपके सामने भी असली और नकली दवाइयों को रख दिया जाए तो पहली नजर में पहचाना पाना थोड़ा मुश्किल होगा. लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनसे असली और नकली दवाओं को पहचाना जा सकता है.
असली दवा की ऐसे करें पहचान
जब आप दवा खरीदने जाएं तो ध्यान दें कि दवा के रैपर पर एक QR Code प्रिंट होता है. नियम के मुताबिक 100 रुपये से ज्यादा कीमत वाली सभी दवाओं पर QR Code प्रिंट करना अनिवार्य है. ऐसे में दवा खरीदने के बाद आप क्यूआर कोड स्कैन करें. इससे आपको दवा का सही और जेनेरिक नाम, ब्रांड का नाम, मैन्युफैक्चरर की जानकारी, मैन्युफैक्चरिंग की तारीख, एक्सपायरी डेट और लाइसेंस नंबर जैसी तमाम जानकारियां मिल जाएंगी. इससे आप आसानी से पता लगा सकेंगे कि दवा असली है या नकली.
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