डीएनए हिंदी: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक बार फिर वेस्ट के प्रभावशाली और ताकतवर देशों पर निशाना साधा है. अमेरिका में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि ग्लोबल नॉर्थ का रवैया और चरित्र कई स्तर पर डबल स्टैंडर्ड वाला रहा है. उन्होंने कहा कि आज भी डबल स्टैंडर्ड वाली दुनिया है जहां कुछ प्रभावशाली और ताकतवर शक्तियां बदलाव का विरोध करती रही हैं. कुछ लोगों के पास ऐतिहासिक स्तर पर क्षमता और संसाधन रहे हैं लेकिन आज वह उनका इस्तेमाल दुनिया में होने वाले जरूरी बदलावों को रोकने के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे पहले भी विदेश मंत्री ने यूरोपीय देशों के रवैये की आलोचना करते हुए कहा था कि यूरोप की सोच है कि उनकी समस्या पूरे विश्व की समस्या है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी और रिलायंस फाउंडेशन के सहयोग से ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा 'साउथ राइजिंग: पार्टनरशिप्स,इंस्टीट्यूशंस एंड आइडियाज' विषय पर आयोजित मंत्रिस्तरीय सत्र को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने विकसित देशों के पाखंड पर निशाना साधा और कहा कि हम देखते आ रहे हैं कि संयुक्त राष्ट्र समेत महत्वपूर्ण संस्थाओं में प्रभावशाली पदों पर बैठे लोग बदलाव का विरोध करते रहे हैं. राजनीतिक इच्छा शक्ति के साथ राजनीतिक दबाव से ही बदलाव मुमकिन है.
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क्या है ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ
ग्लोबल नॉर्थ अधिक समृद्ध राष्ट्र हैं जो ज़्यादातर उत्तरी अमेरिका और यूरोप में स्थित हैं, इनमें ओशिनिया तथा अन्य जगहों पर कुछ नए देश भी शामिल हैं. भारत को ग्लोबल साउथ का लीडर माना जाता है. ग्लोबल साउथ में एशिया और अफ्रीका जैसे देश हैं जहां आज भी खाद्यान्न, भूख, पोषण की कमी, बड़े पैमाने पर गरीबी और महामारी जैसी समस्याएं मौजूद हैं. विकसित देशों का रवैया अक्सर कई अहम मुद्दों पर ऐसे विकासशील और गरीब देशों के लिए ईमानदार नहीं रहा है.
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जी-20 और कोविड जैसे उदाहरण दिए
विदेश मंत्री ने कहा कि कुछ लोग आज आर्थिक तौर पर प्रभावशाली हैं और उनका ऐतिहासिक प्रभाव है. ऐसे लोगों का दावा रहता है कि वह सही बात कहेंगे लेकिन उनके दोहरे मानदंड अक्सर सामने आते रहते हैं. कोविड के वक्त हम सबने यह देखा है. उन्होंने जी-20 जैसे आयोजन का भी उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि बाजार और आजादी के नाम पर बहुत सारी चीजें की जाती हैं. आज ग्लोबल साउथ चाहता है कि दूसरों की परंपराएं, विचार, संस्कृति का आदर होना चाहिए. यह सब बदलाव के संकेत हैं जिन्हें ग्लोबल साउथ वाकई में देखना चाहता है.
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