डीएनए हिंदी: झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सत्ता से बाहर हो सकते हैं. चुनाव आयोग ने सीएम हेमंत सोरेन पर लाभ के पद पर होने के आरोपों को लेकर अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेज दी है. चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश भी की है. अगर राज्यपाल चुनाव आयोग की सिफारिशें मानते हैं तो हेमंत सोरेन को अपना पद गंवाना पड़ सकता है.
झारखंड में चुनाव आयोग की सिफारिश के बाद से ही सोरेन एक्टिव मोड में आ गए हैं. एक तरफ जहां राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली से रांची पहुंच गए हैं, वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई दिग्गज मंत्री और विधायक भी राजधानी पहुंच रहे हैं. हेमंत सोरेन ने एडवोकेट जनरल को भी तलब किया है.
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क्यों खतरे में है सीएम सोरेन की कुर्सी?
दरअसल चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को एक याचिका पर अपनी सलाह दी है. बीजेपी ने एक याचिका दायर की थी जिसमें मांग की गई थी सीएम सोरेन को विधायक के तौर पर अयोग्य ठहराया जाए. दलील यह थी कि उन्होंने खुद को एक माइनिंग लीज जारी की थी जो लाभ के पद के अंतर्गत आता था. चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेज दी.
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क्या राज्यपाल के फैसले होगा असरदार?
संविधान का अनुच्छेद 192 राज्यपाल को यह शक्ति देता है कि किसी सदस्य को वह अयोग्य ठहरा सकें. राज्यपाल को चुनाव आयोग की सलाह माननी होती है. अब चुनाव आयोग ने अपनी राय राज्यपाल को भेज दी है.
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बीजेपी क्यों बता रही है अपनी जीत?
भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद निशिकांत दुबे ने गुरुवार को कहा कि यह उनकी पार्टी के लिए बड़ी जीत है. उन्होंने कहा कि सभी पत्रकारों ने मुझे बताया है कि झारखंड के सीएम अपनी सदस्यता खो रहे हैं. चुनाव आयोग ने राज्यपाल से सिफारिश की है. एक बीजेपी कार्यकर्ता के तौर पर बेहद खुशी देने वाली बात है क्योंकि यह शिकायत बीजेपी ने की है .
12 अगस्त को सोरेन ने रखा था चुनाव आयोग के सामने अपना पक्ष
12 अगस्त को हेमंत सोरेन की कानूनी टीम ने चुनाव आयोग के सामने अपनी दलीलें पूरी कीं थीं, जिसके बाद मामले में याचिकाकर्ता बीजेपी ने जवाब दिया था. 18 अगस्त को दोनों पक्षों ने चुनाव आयोग को अपनी लिखित दलीलें सौंपीं थीं. गुरुवार को बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया था कि चुनाव आयोग का पत्र राजभवन पहुंच गया है.
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