Ed Action on Vivo: ईडी ने वीवो पर की बड़ी कार्रवाई, 48 ठिकानों पर रेड में जब्त किए 465 करोड़ रुपये

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 07, 2022, 07:31 PM IST

मनी लॉन्ड्रिंग केस को लेकर अब ईडी ने वीवों के खिलाफ एक सख्त एक्शन लिया है. कंपनी के निदेशक देश छोड़कर भाग चुके हैं लेकिन कंपनी जांच में सहयोग का दावा कर रही है.

डीएनए हिंदी: मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चाइनीज स्मार्टफोन निर्माता कंपनी Vivo के खिलाफ उसके अलग-अलग ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की है. इसको लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने 7 जुलाई 2022 को ट्विटर (Twitter) पर पुष्टि की कि उन्होंने वीवो मोबाइल्स (Vivo Mobiles) के देश भर में विभिन्न स्थानों पर अब तक 48 ठिकानों पर छापेमारी की है और दस्तावेंज जब्त किए हैं.

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चीनी मोबाइल निर्माता कंपनी की जांच शुरू कर दी है. आज उन्होंने वीवो मोबाइल्स की अपनी छापेमारी पर एक अपडेट ट्वीट करते हुए कहा, "ईडी ने वीवो मोबाइल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Vivo Mobiles India Private Limited) से संबंधित देश भर में 48 स्थानों पर तलाशी ली है.

ईडी ने जब्त की संपत्ति

इसकी 23 संबद्ध कंपनियों और शेष राशि को जब्त कर लिया गया है. इसके साथ ही ईडी ने कंपनी के 119 बैंक खातों में 465 करोड़ रुपये भी जब्त किए हैं  जिसमें वीवो इंडिया के 66 करोड़ की एफडी, 2 किलो सोने की छड़ें और 73 लाख रुपये की नकदी शामिल हैं .”

गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत पूरे उत्तर भारत में वीवो मोबाइल (Vivo Mobiles) की जांच की है.रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीनी मोबाइल कंपनी वीवो की पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा सारे मामलों की जांच की जा रही थी और बाद में इसे मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के लिए ईडी को सौंप दिया गया था.

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क्या बोले कंपनी के जिम्मेदार

इस रेड को लेकर वीवो के एक प्रवक्ता ने जवाब में कहा, “वीवो सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहा है. हम कानूनों का पूरी तरह से पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं." आपको बता दें कि वीवो के निदेशक झंगशेन ओउ के देश छोड़ने की खबरें भी हैं. 

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जांच एजेंसी के अनुसार जम्मू कश्मीर स्थित चीनी कंपनी वितरक निगरानी में है क्योंकि सरकार ने पाया कि कंपनी के दो चीनी शेयरधारकों ने झूठे भारतीय पते के साथ जाली दस्तावेज वितरित किए हैं. इस मामले को शुरू में दिल्ली पुलिस के अर्थशास्त्र विभाग ने लिया था लेकिन बाद में सीबीआई और अब ईडी इस मामले को देख रही है. 

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