कैश फॉर क्वेरी मामले में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में मोइत्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. ईडी की तरफ से टीएमसी नेता के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) पहले से ही इस मामले की जांच कर रही है. उसे 6 महीने में लोकपाल को रिपोर्ट सौंपनी है.
इसी से जुड़े फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के मामले में ईडी महुआ मोइत्रा से 1 अप्रैल को पूछताछ करने वाली थी. लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर TMC नेता ने एजेंसी को पत्र लिखकर 21 दिन की मोहलत मांगी थी. लेकिन ईडी ने यह मोहलत देने से इनकार कर दिया. जांच एंजेसी ने मोइत्रा को अगले 7 दिन के बाद पूछताछ के लिए हाजिर होने का
'मेरी जीत लोकसभा से निष्कासन का देगी जवाब'
महुआ मोइत्रा पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट चुनाव लड़ रही हैं. उन्होंने दावा किया कि इस सीट पर उनकी जीत लोकसभा से निष्कासित करने और नकद के बदले सवाल पूछने के मामले में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की साजिश का करारा जवाब होगी. मोइत्रा ने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र को खत्म करने के बीजेपी के सभी प्रयासों के बावजूद भारत इतना महान देश है कि इसे फासीवादी ताकतें नष्ट नहीं कर सकतीं.
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टीएमसी ने मोइत्रा को पिछले साल लोकसभा से निष्कासित किए जाने के बाद कृष्णानगर सीट से फिर से टिकट दिया है. उन्होंने ईडी और सीबीआई पर भगवा खेमे के राजनीतिक एजेंट के तौर पर काम करने का आरोप लगाया. मोइत्रा ने कहा कि चुनाव आयोग ने अपनी स्वतंत्रता खो दी है क्योंकि आयुक्तों का चयन उस समिति द्वारा किया जाता है जहां केंद्र के पास दो-तिहाई बहुमत है.
उन्होंने कहा कि मेरी जीत में कोई संदेह नहीं है. यह इस बारे में है कि अंतर कितना बड़ा होगा, जिसका फैसला चार जून को होगा. मैं यहां रहती हूं और पिछले पांच वर्षों से अपने लोगों के बीच हूं और उससे पहले भी एक विधायक के रूप में उनके बीच थी. इसलिए यह एक बहुत मजबूत संबंध है और सच कहूं तो यहां ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा है कि कोई चुनाव हो रहा है.
Mahua Moitra कितने वोटों से जीती थीं चुनाव
मोइत्रा ने 2019 के चुनाव में 60,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी और उन्हें कुल 45 प्रतिशत मत मिले थे. उन्होंने कहा, 'मेरी जीत मुझे निष्कासित करने और मेरी प्रतिष्ठा धूमिल करने की साजिश का करारा जवाब होगी. लोकसभा में अपनी मुखरता और उग्र बहस के लिए जानी जाने वाली मोइत्रा को पिछले साल दिसंबर में निचले सदन से निष्कासित कर दिया गया था. संसदीय आचार समिति की रिपोर्ट में उन्हें उपहार और रिश्वत स्वीकार करने का दोषी ठहराया गया था.
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