डीएनए हिंदी: दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई के लिए 5 अप्रैल की तारीख तय कर दी गई है. मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को राउस एवेन्यू कोर्ट अपना लंबा-चौड़ा जवाब फाइल कर दिया है. इसके बाद स्पेशल जज एम के नागपाल ने सुनवाई को 5 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया. साथ ही, ईडी को निर्देश दिए हैं कि इन जवाबों की कॉपी मनीष सिसोदिया के वकील को भी उपलब्ध कराई जाई. अपने जवाब में ईडी ने यह भी बताया है कि उसने कौन-कौन से सबूत कोर्ट के सामने पेश कर दिए हैं.
मनी लॉन्ड्रिंग केस में मनीष सिसोदिया 5 अप्रैल तक ईडी की न्यायिक हिरासत में रहने वाले हैं. 26 फरवरी को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. बाद में ईडी ने भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया. 26 फरवरी से ही वह जेल में हैं और कई बार सुनवाई के बावजूद उन्हें जमानत नहीं मिल पाई है. इससे पहले कोर्ट ने माना था कि मनी लॉन्ड्रिंग का मामला इतना जटिल है और इतने दस्तावेज बरामद किए गए हैं कि उनकी जांच करने में समय लग सकता है.
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'LG ने CBI को लिखी चिट्ठी तो सिसोदिया ने बदल दिया अपना फोन'
इससे पहले ईडी की ओर से पेश हुए वकील जोहेब हुसैन ने भारी मात्रा में ईमेल डेटा और मोबाइल डेटा कोर्ट में जमा किया था. ईडी ने बताया था कि इन सबकी फॉरेंसिंक जांच की गई थी. ईडी ने यह भी कहा था कि मनीष सिसोदिया लंबे समय से वही फोन इस्तेमाल कर रहे थे लेकिन उस फोन को ठीक उसी दिन बदल दिया जिस दिन उपराज्यपाल ने सीबीआई को चिट्ठी लिखी.
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ईडी ने कोर्ट के सामने तर्क रखा कि जिस तरह से मनीष सिसोदिया ने फोन और सिम कार्ड बदले वह साफ दिखाता है कि सबूत मिटाने की कोशिश की गई. ईडी का आरोप है कि मनीष सिसोदिया ने किसी और शख्स के नाम पर सिम कार्ड खरीदे और उनका इस्तेमाल किया. ईडी के मुताबिक, आबकारी नीति मामले में गंभीर साजिश की गई और विजय नायर ने इसमें सूत्रधार की भूमिका निभाई. कुल मिलाकर इसमें शराब के थोक विक्रेताओं से अच्छा-खासा कमीशन कमाने की कोशिश की गई.
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