डीएनए हिंदी: शिवसेना (Shiv Sena) के दोनों धड़ों में चुनाव चिह्न को लेकर जारी जंग के बीच चुनाव आयोग (Election Commission) ने अहम फैसला किया है. चुनाव आयोग ने शनिवार को जारी अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि दोनों गुट, चुनाव चिह्न धनुष और तीर का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. इस चुनाव चिह्न को आयोग ने फ्रीज कर दिया है. अब दोनों गुट चुनाव प्रचार में इस चिह्न का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. इसे उद्धव ठाकरे गुट के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है.
उद्धव ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग से अपील की थी कि यह चुनाव चिह्न उन्हीं के नाम रहे. अंधेरी उपचुनावों को देखते हुए शिंदे गुट चाहता था कि जल्द से जल्द चुनाव आयोग अपना फैसला सुनाए. शिंदे गुट उपचुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतार रहा है.
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उद्धव गुट खुद को बता रहा असली शिवसेना
शिवसेना की दलील थी कि हम इस चुनाव में उम्मीदवार उतारने जा रहे हैं तो स्थिति जस की तस बनी रहनी चाहिए. इस संबंध में तत्काल निर्णय लेने की जरूरत नहीं है. हमें अपना पक्ष रखने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए. उद्धव गुट का कहना है कि हम असली शिवसेना हैं.
क्या हैं शिवसेना के तर्क?
शिवसेना का कहना है कि हमारे पास 15 विधायक हैं. एकनाथ शिंदे गुट के पास एक भी विधायक नहीं है. शिंदे समूह के खिलाफ निलंबन प्रक्रिया अभी भी चल रही है. शिवसेना ने यह भी तर्क दिया कि उनके 12 विधान परिषद सदस्य हैं लेकिन शिंदे के पास एक भी विधान परिषद सदस्य नहीं हैं. ऐसी स्थिति में पार्टी शिवसेना की रहनी चाहिए.
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शिवसेना ने कहा कि लोकसभा में एकनाथ शिंदे गुट का समर्थन करने वाले 7 सांसदों के खिलाफ निलंबन प्रक्रिया लंबित है. राज्यसभा में उद्धव गुट के 3 राज्यसभा सांसद हैं लेकिन शिंदे गुट के पास एक भी नहीं हैं. 234 की संख्या वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उद्धव गुट के 160 सदस्य हैं जबकि शिंदे समूह में कोई नहीं है. बाहरी राज्यों से 18 प्रभारी शिवसेना के साथ हैं, वहीं शिंदे के साथ कोई नहीं है.
शिवसेना ने चुनाव आयोग को तर्क दिया था कि हमें शिवसेना पार्टी के 10 लाख से अधिक लोगों का समर्थन प्राप्त है. 1.60 लाख केवल शिंदे समूह के साथ जुड़ा है. 2,62,542 शिवसेना पार्टी के अलग-अलग पदाधिकारी हैं, जबकि एकनाथ शिंदे के पास किसी का समर्थन नहीं है.
किस हक से पार्टी का चुनाव चिह्न मांग रहे हैं एकनाथ शिंदे?
ठाकरे समूह का दावा है कि ये आंकड़े साबित करते हैं कि पुरानी शिवसेना के पास बहुमत है. पार्टी के नेता को छोड़कर पार्टी के चुनाव चिह्न का दावा कोई और नहीं कर सकता है. उद्धव ठाकरे पार्टी के मुखिया हैं.
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एकनाथ शिंदे को पार्टी का प्रमुख नेता बनाया गया है. पार्टी के संविधान के खिलाफ और बिना किसी सूचना के प्रतिनिधि बैठक आयोजित की गई थी. शिवसेना के पास पार्टी में प्रमुख नेता का कोई पद नहीं है.
क्या है ठाकरे समूह की चुनाव आयोग से मांग?
शिवसेना चाहती है कि वर्तमान स्थिति में अंतिम निर्णय होने तक यथास्थिति को यथावत रखा जाना चाहिए. हमें अपना पक्ष रखने का उचित मौका दिया जाना चाहिए. एकनाथ शिंदे समूह की याचिका खारिज होनी चाहिए.
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