डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव किसी भी समय हो सकते हैं और इस मुद्दे पर निर्णय निर्वाचन आयोग को लेना है. सरकार ने यह बात केंद्रशासित प्रदेश में चुनावी लोकतंत्र और पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली पर एक प्रारूप प्रस्तुत करते हुए कही. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव पर निर्णय भारत निर्वाचन आयोग और राज्य चुनाव आयोग को लेना है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव तीन स्तरों पर होंगे, पहला पंचायत चुनाव, दूसरा नगर निकाय चुनाव और फिर विधानसभा स्तर पर चुनाव होगा. केंद्र ने 29 अगस्त को शीर्ष अदालत से कहा था कि जम्मू-कश्मीर की केंद्रशासित प्रदेश की स्थिति स्थायी नहीं है और वह 31 अगस्त को अदालत में इस जटिल राजनीतिक मुद्दे पर एक विस्तृत बयान देगा.
ये भी पढ़ें- भूकंप के झटकों से कांपी धरती, घरों में सो रहे लोगों की उड़ी नींद, जानें कितनी थी तीव्रता
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा रोडमैप
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सरकार से पूर्ववर्ती राज्य में चुनावी लोकतंत्र की बहाली के लिए एक विशिष्ट समयसीमा निर्धारित करने को कहा था. चीफ जस्टिस ने मोदी सरकार से पूछा था कि जम्मू कश्मीर चुनाव कब होंगे? क्या सरकार ने कोई रोडमैप बनाया है? आपको हमें बताना होगा कि सरकार क्या कदम उठाने वाली है और एक केंद्र शासित प्रदेश को फिर से राज्य में कब बदलेंगे.
इस पर सरकार की ओर से तुषार मेहता ने कहा था कि जब हालात सामान्य हो जाएंगे, जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बना दिया जाएगा. मेहता ने कहा कि भविष्य में जम्मू-कश्मीर को एक राज्य का दर्जा दिया जाएगा, जबकि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे के भविष्य पर 31 अगस्त को सरकार विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.