सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, केंद्रीय चुनाव आयोग ने गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है. ये इलेक्टोरेल बॉन्ड एक हजार रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये की कीमत के हैं. इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कुल मिलाकर 12,769 करोड़ रुपये का चंदा राजनीतिक पार्टियों को मिला. इसके जरिए सबसे ज्यादा पैसा सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिला. बीजेपी को 6 हजार करोड़ स ज्यादा का चंदा मिला है. दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस रही. इसके अलावा, YSR कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, टीडीपी और कांग्रेस को भी इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा मिला है.
देश के उद्योगपतियों, उनकी कंपनियों और कुछ लोगों ने व्यक्तिगत स्तर पर 2019 से अब तक चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को 1,27,69,08,93,000 रुपये दान में दे दिए. चुनावी आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित डेटा के मुताबिक, राजनीतिक दलों ने पांच साल में कुल 20,421 चुनावी बॉन्ड भुनाए. इनमें 12,207 बॉन्ड एक-एक करोड़ रुपये के थे. 5,366 बॉन्ड 10-10 लाख रुपये के थे, 2,526 बॉन्ड एक-एक लाख रुपये के थे, 219 बॉन्ड 10-10 हजार रुपये के और 103 बॉन्ड एक-एक हजार रुपये के थे.
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BJP को मिले 6 हजार करोड़ रुपये
सबसे ज्यादा 60,60,51,11,000 रुपये बीजेपी के खाते में गए, जो कुल राशि का लगभग आधा है. बीजेपी ने एक करोड़ रुपये के 5,854 बॉन्ड और 10 लाख रुपये के 1,994 बॉन्ड भुनाए. उसने एक लाख और 10 हजार रुपये के अलावा 31 बॉन्ड एक-एक हजार रुपये के भी कैश कराए. दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस ने 16,09,50,14,000 रुपये के 3,275 चुनावी बॉन्ड भुनाए जिनमें 1.467 एक-एक करोड़ रुपये के और 1,384 बॉन्ड 10-10 लाख रुपये के थे.
कांग्रेस ने 14,21,86,50,000 करोड़ रुपये के 3.141 चुनावी बॉन्ड भुनाए, जिनमें 1.318 एक-एक करोड़ रुपये के और 958 बॉन्ड 10-10 लाख रुपये के थे. इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा देने में स्टील कारोबारी लक्ष्मी मित्तल से लेकर अरबपति सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, अनिल अग्रवाल की वेदांता, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा से लेकर कम प्रसिद्ध फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज तक शामिल हैं. फ्यूचर गेमिंग की मार्च 2022 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की गई थी. इसने दो अलग-अलग कंपनियों के तहत 1,350 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
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इन कंपनियों ने खूब खरीदे इलेक्टोरल बॉन्ड
जाने-माने कॉरपोरेट्स समूहों में अग्रवाल की वेदांता लिमिटेड ने 398 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे, जबकि सुनील मित्तल की तीन कंपनियों ने मिलकर कुल 246 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. स्टील कारोबारी लक्ष्मी निवास मित्तल ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में 35 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. कई बड़े प्रोजेक्ट हासिल करने वाली हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग ने 966 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. अधिकांश बॉन्ड जहां राजनीतिक दलों के नाम पर जारी किए गए हैं, वहीं कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को दिया गया चंदा 'अध्यक्ष, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी' और 'अध्यक्ष समाजवादी पार्टी' के नाम पर दिया गया था.
चुनाव आयोग की वेबसाइट अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड के खरीदारों में स्पाइसजेट, इंडिगो, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, सन फार्मा, वर्धमान टेक्सटाइल्स, जिंदल ग्रुप, फिलिप्स कार्बन ब्लैक लिमिटेड, सीएट टायर्स, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, आईटीसी, केपी एंटरप्राइजेज, सिप्ला और अल्ट्राटेक सीमेंट शामिल हैं.
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इन पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड से मिला पैसा
आंकड़ों के मुताबिक चुनावी बॉन्ड भुनाने वाली पार्टियों में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, एआईएडीएमके, बीआरएस, शिवसेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, डीएमके, जेडीएस, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, JDU, आरजेडी, AAP और समाजवादी पार्टी, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, बीजेडी, गोवा फॉरवर्ड पार्टी, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, जेएमएम, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट और जन सेना पार्टी शामिल है.
लक्ष्मी निवास मित्तल के अलावा, चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दान देने वाले व्यक्तियों में किरण मजूमदार शॉ, वरुण गुप्ता, बी.के. गोयनका, जैनेंद्र शाह और मोनिका नाम की एक महिला शामिल हैं. गाजियाबाद स्थित यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ने 162 बॉन्ड खरीदे, जिनमें से ज्यादातर एक करोड़ रुपये के थे. बजाज ऑटो ने 18 करोड़ रुपये, बजाज फाइनेंस ने 20 करोड़ रुपये, इंडिगो की तीन कंपनियों ने 36 करोड़ रुपये, स्पाइसजेट ने 65 लाख रुपये और इंडिगो के राहुल भाटिया ने 20 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.
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प्राइवेट कंपनियों ने जमकर दिया दान
मुंबई स्थित क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड ने 410 करोड़ रुपये और हल्दिया एनर्जी ने 377 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2018 से जनवरी 2024 तक 16,518 करोड़ रुपये के कुल 28,030 चुनावी बॉन्ड बेचे गए हैं. उसने कहा कि बीजेपी को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 6,566 करोड़ रुपये या 54.77 प्रतिशत का सबसे अधिक योगदान प्राप्त हुआ है, इसके बाद कांग्रेस को 1,123 करोड़ रुपये या 9.37 प्रतिशत, तृणमूल कांग्रेस को 1,092 करोड़ रुपये या 9.11 प्रतिशत का योगदान मिला है.
सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय संविधान बेंच ने 15 फरवरी को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में अनाम राजनीतिक फंडिंग की इजाजत देने वाली केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक कहा था और निर्वाचन आयोग को दानदाताओं, उनके द्वारा दान की गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का खुलासा करने का आदेश दिया था.
(एजेंसी इनपुट पर आधारित)
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