जिस तरह से इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) की जानकारी देने से एसबीआई बच रहा है. उससे यही लगता है कि उसने सुप्रीम कोर्ट को भी अपना ग्राहक समझ लिया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट कोई खाताधारक नहीं है, जिसे उसके अधिकारी चक्कर कटवाते रहेंगे. आज सुप्रीम कोर्ट की फटकार एसबीआई को अच्छी तरह समझ आ गई होगी. सर्वोच्च अदालत ने 21 मार्च तक इससे जुड़ी सभी जानकारी चुनाव आयोग को शेयर करने का आदेश दिया है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च के फैसले में एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया था. हालांकि, SBI ने सिर्फ Electoral Bonds खरीदने और उनको कैश करवाने वालों की जानकारी दी. लेकिन ऐसी कोई जानकारी नहीं दी जिससे ये पता चले कि किसने किस पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा दिया. जिसका पता बॉन्ड खरीदे वालों के नंबर से चल सकता है, लेकिन इसकी जानकारी ना देने के लिए SBI बहाना बना रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई को दौरान एसबीआई से कहा, 'इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी 21 मार्च तक दें. यूनिक बॉन्ड नंबर्स का भी खुलासा करें, जिसके जरिए खरीदने वाले और भुनाने वाली राजनीतिक पार्टी के लिंक का पता चलता है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि SBI चाहती है कि हम ही उसे बताएं कि किसका खुलासा करना है, तब वो बताएंगे. ये रवैया सही नहीं है.
21 मार्च तक SBI को देनी होगी पूरी जानकारी
सीजेआई ने कहा कि सारी जानकारियों का खुलासा करने में एसबीआई सेलेक्टिव ना रहे. हमारे आदेशों का इंतजार ना करें. हम Electoral Bonds से जुड़ी हर वो जानकारी चाहते हैं, जो आपके पास है. 21 मार्च की शाम पांच बजे तक SBI एक Affidavit दाखिल करें कि उन्होंने कोई जानकारी नहीं छिपाई है. यानी अब एसबीआई अब इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी कोई जानकारी नहीं छिपा पाएगा. उसे सभी सवालों के जवाब देने पड़ेंगे.
लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर चुनावी बॉन्ड के जरिए किसने किस राजनीतिक पार्टी को कितना चंदा दिया? इस सवाल का जवाब ना तो SBI देना चाह रहा है और ना कोई बड़ा राजनीतिक दल. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2019 में इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सुनवाई के दौरान ही चुनाव आयोग को कहा था कि वो सभी राजनीतिक दलों से इसकी जानकारी जुटाएं.चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों से ये जानकारी लेनी थी कि उसे कौन सा Bond किसने दिया, Electoral Bonds की रकम कितनी थी? उनके खाते में किस तारीख में डाली गई? सिर्फ कुछ राजनीतिक दलों ने ये सारी जानकारियां दी, लेकिन कुछ ने सिर्फ ये बताया कि किस बॉन्ड से उन्हें कितने रुपये मिले.
Electoral Bond पर किस पार्टी ने क्या दी जानकारी?
किन पार्टियों ने दी फुल इंफॉर्मेशन
समझने वाली बात ये है कि नेशनल राजनीतिक पार्टियां इलेक्टोरल बॉन्ड के Donors की जानकारी छिपा रही हैं. लेकिन क्षेत्रीय पार्टियां चंदा देने वालों की जानकारी दे रही हैं. इससे ये पता चलता है कि एसबीआई के पास ये जानकारी उपलब्ध है कि Electoral Bonds के जरिए किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया. क्योंकि अगर राजनीतिक दलों के पास उनके डोनर की जानकारी है तो एसबीआ के पास तो जरूर होगी.
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