डीएनए हिंदी: अप्रैल-मई में कोयले की कमी से देश के कई राज्यों में बिजली का संकट (Electricity Crisis) खड़ा हो गया था. कोयले की आपूर्ति न हो पाने, कोयले की कमी होने और बिजली की मांग बढ़ जाने की वजह से बिजली उत्पादन करने वाले कई प्लांट बंद होने की कगार पर आ गए थे. इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए कहा गया है कि सभी बिजली प्लांट 10 फीसदी आयातित कोयले का इस्तेमल करेंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इससे बिजली के बिल (Electricity Bill) में 60-70 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी होगी. जाहिर है कि इसका बोझ आम जनता पर भी पड़ेगा.
केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने गुरुवार को कहा कि ब्लैकआउट से बचने के लिए बिजली प्लांट्स से कहा गया है कि वे 10 फीसदी आयातित कोयले का मिश्रण करें जिससे बिजली शुल्क में 60-70 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी होगी. आर के सिंह ने कहा कि बिजली की कमी से बचने के लिए ऐसा करना होगा क्योंकि घरेलू कोयले की आपूर्ति बिजली कंपनियों की मांग को पूरा नहीं कर पा रही है.
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बढ़ गई है बिजली की मांग
बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा कि ऊर्जा की खपत में लगभग 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और पिछले एक साल में अधिकतम मांग में भी 15 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा, 'हमने बिजली संयंत्रों को ब्लैकआउट से बचने के लिए 10 प्रतिशत आयातित कोयले को मिश्रित करने के लिए कहा है क्योंकि घरेलू कोयला उत्पादन पर्याप्त नहीं है.
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बिजली संकट के बारे में विस्तार से बताते हुए आर के सिंह ने कहा, 'आयातित कोयले की कीमत 17,000-18,000 रुपये प्रति टन है जबकि घरेलू कोयले की कीमत करीब 2,000 रुपये प्रति टन है. इस वजह से बिजली शुल्क में लगभग 60-70 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि होगी.' अगर आम उपभोक्ता के हिसाब से देखें तो अगर महीने भर में आप 100 यूनिट बिजली का भी इस्तेमाल करते हैं तो आपके बिल में 60 से 70 रुपये का इजाफा हो सकता है.
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