Exclusive: ये हैं UPSC Topper Ishita Kishore को पढ़ाने वाली टीचर शुभ्रा रंजन, जिन्होंने देश को दिए कई IAS और IPS

Written By मनीष कुमार | Updated: May 24, 2023, 06:35 PM IST

UPSC Topper Ishita Kishore और Tina Dabi को पढ़ाने वाली टीचर Shubhra Ranjan ने बताया कि कैसे स्टूडेंट्स UPSC में अच्छी रैंक ला सकते हैं. साथ ही UPSC Crack करने का सेक्सस मंत्रा 'SPIRIT' शेयर किया है.

डीएनए हिंदी: भारत के ज्यादातर परिवारों का सपना होता है कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर बड़े अफसर-अधिकारी बनें. ऐसा होता भी है कि स्टूडेंट्स सालभर मेहनत करने के बाद अपने परिवार का सपना सच कर, परिवार का मान बढ़ाते हैं. इन चेहरों की खुशी के पीछे परिवार ही नहीं, बल्कि एक और इंसान का हाथ और सीख होती है जो उन्हें ये मुकाम दिलाने में मदद करते हैं. आज UPSC 2022 का रिजल्ट आया दिनभर कई परिवारों में खुशी का माहौल रहा और आने वाले कई सालों तक रहेगा. UPSC EXAM Result 2022 में लड़कियों का दबदबा रहा उन्हीं में से एक Ishita Kishore ने UPSC में पहली रैंक हासिल की. आज हमने इशिता किशोरी की टीचर से बात की जिनके मार्गदर्शन से इशिता ही नहीं बल्कि टीना डाबी, कनिका गोयल, अभिनव जैसे कई होनहार IAS और IPS अधिकारी देश को मिले हैं. ये कोई और नहीं बल्कि शुभ्रा रंजन है. आइए जानते हैं शुभ्रा रंजन इशिता को कौन-सा विषय पढ़ाया करती थीं. इसके अलावा UPSC से जुड़े हमें मिलने वाले कई स्टूडेंट्स के प्रश्नों पर उनकी क्या राय है.

मुझे बहुत ज्यादा खुशी हो रही है आज....

डीएनए हिंदी से बात करते हुए शुभ्रा रंजन ने बताया कि आज वे बेहद खुश हैं क्योंकि उनके द्वारा पढ़ाए गए कई सारे स्टूडेंट्स का UPSC में चयन हुआ है. इतना ही नहीं, उनकी स्टूडेंट इशिता किशोर ने UPSC Exam 2022 में पहला स्थान प्राप्त किया है. पिछले 15 साल में यह पहली बार है जब एक ही टीचर के पढ़ाए हुए 2 स्टूडेंट यूपीएससी में पहला स्थान लाए हैं.

मैंने इशिता को पॉलीटिकल साइंस पढ़ाया था....

हम सभी जानते हैं कि राजनीतिक विज्ञान यूपीएससी एग्जाम में बेहद अहम विषय होता है. इशिता ने साल 2019 में मेरे 'कोर पॉलीटिकल साइंस' के कॉर्स को जॉइन किया साथ ही क्रैश कोर्स भी किया. 

क्लास में काफी एक्टिव थीं इशिता...

किसी के निजी जीवन को लेकर कुछ कह पाना काफी मुश्किल होता है क्योंकि इंस्टीट्यूट में बैक-टू-बैक कई क्लासेस होती हैं. इस वजह से ज्यादातर स्टूडेंट्स और टीचर का केवल क्लास में ही लेक्चर के दौरान इंटरेक्शन हो पाता है. इसके बावजूद इशिता क्लास और कॉर्स दोनों में ही काफी एक्टिव रहती थीं.
 


शुभ्रा रंजन जोकि Shubhra Ranjan IAS इंस्टीट्यूट की फाउंडर हैं साथ ही UPSC की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को पॉलीटिकल साइंस, इंटरनेशनल रिलेशन जैसे विषय को भी पढ़ाती हैं. उनसे हमने UPSC को लेकर स्टूडेंट के मन में रहने वाले कई सवालों को लेकर भी बात कि जिस पर उन्होंने अपनी राय डीएनए हिंदी के साथ शेयर की है.

UPSC Exam को पहली बार में क्रैक करने के लिए सबसे ज्यादा क्या जरूरी है?

देखिए, भारत में हर साल लाखों स्टूडेंट्स UPSC Exam देते हैं लेकिन एग्जाम हो या फिर कोई दूसरा काम, दोनों में सफलता के लिए सही मार्गदर्शन सबसे ज्यादा जरूरी होता है. मैं ऐसा समझती हूं कि अगर आपको सही मार्गदर्शन मिल जाए तो आपको पता चल जाता है क्या करना है और क्या नहीं. इसलिए आपको अपनी तैयारी के समय सही गाइडेंस के अलावा अपनी 'SPIRIT' को हमेशा हाइ रखना है.
S=Strategy स्टैटेजी (एग्जाम के लिए एक बेहतर रणनीति तैयार करें)
P=Planing प्लानिंग (कब पढ़ना है कितना पढ़ना है)
I= Implementation इंप्लीमेंटेशन (कैसे आप चीजों को देख या अपना रहे हैं) 
R= Resource  रिसोर्स मैनेजमेंट (क्या पढ़ रहे हैं कहा से पढ़ रहे हैं आदि), 
I=Improvement इंप्रूवमेंट (हमेशा अपने आपको इंप्रूव करते रहें).
T=Time Management टाइम मैनेजमेंट (अपने समय का सही उपयोग करना सीखें)

 

UPSC को क्रैक करने के लिए कितनी देर तक पढ़े?

हमने कई बार देखा और सुना है लोग अपने दिन में 9-10 घंटे काम के साथ-साथ पढ़ाई करते हैं और UPSC का Exam देते हैं और क्लियर कर जाते हैं. यहां सबसे ज्यादा समझने की जरूरत है कि आपने जितनी देर भी पढ़ाई की वो कितनी सार्थक थी. आप कहीं डिस्ट्रैक्ट तो नहीं हुए, आपने जो पढ़ा आपको कितना याद रहा, आप एग्जाम में उसे कैसे यूज करेंगे ये सब ज्यादा मायने रखता है, बजाए इसके कि एक कमरे में रोजाना 15-18 घंटे के लिए खुद को बंद करके बस किताबों की शक्ल देखना.

मेरे कई स्टूडेंट्स ऐसे रहे जिन्होंने जॉब करते हुए यूपीएससी की परीक्षा पास की है. यह केवल पढ़ाई की परीक्षा ही नहीं बल्कि आपके व्यक्तित्व की भी परीक्षा है. देखिए पढ़ाई के कई चरण होते हैं. आप रोजाना 15-18 घंटे नहीं पढ़ सकते. हालांकि जब एग्जाम के दिन पास आते हैं. तब कई बार ऐसा होता है कि स्टूडेंट ज्यादा-से-ज्यादा समय अपनी पढ़ाई को देता है और जो सालभर पढ़ा है उसे रिवाइज करने में कई बार 10-12 घंटे देने लगता है. अगर आप सालभर से मेहनत कर रहें हैं तो 3-4 घंटे रोजाना पढ़ाई को देना काफी है.

Pre, Main, GS, Interview के लिए अलग-अलग कोचिंग सेंटर क्यों जरूरी है

मैं आपको बता दूं UPSC की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स में यह सबसे बड़ा मिथक है और मैं इस तरह के किसी भी मिथक को सपोर्ट नहीं करती. सबसे ज्यादा जरूरी होता है ये जानना कि कौन क्या पढ़ा रहा है, उनका पढ़ाया हुआ आपको कितना समझ आ रहा है, टीचर की प्रोफाइल क्या है, उनके रिजल्ट क्या हैं, उन्हें विषय की कितनी समझ है. ये सब ज्यादा मायने रखती हैं.

UPSC की तैयारी के लिए ऑन-लाइन कोचिंग बेहतर है या ऑफलाइन, स्टूडेंट सही कोचिंग का चुनाव कैसे करें?

देखिए आपको क्लास का रिजल्ट वेरिफाई करना चाहिए. क्या UPSC क्रैक करने वाले स्टूडेंट वाकई उस क्लास का हिस्सा था या नहीं. ऐसा तो नहीं कि स्टूडेंट एक बार कोचिंग सेंटर पर पूछताछ करने आया, इंक्वायरी फॉर्म भरा लेकिन कोचिंग जॉइन नहीं की और जब वही स्टूडेंट टॉप कर जाता है तो कई इंस्टीट्यूट उनके फॉर्म पर लगी फोटो और डिटेल को लेकर उन्हें अपना स्टूडेंट बताते हैं. इसलिए किसी भी संस्थान में फीस भरने से पहले देखें कि किसके नेतृत्व में वह सेंटर चलाया जा रहा है. वहां का रिजल्ट कैसा है, वहां के स्टूडेंट्स से, टीचर्स से बात करें, ऑनलाइन रिव्यू पढ़ें. कम से कम कई सारे संस्थानों में पूछताछ करें फिर जाकर अपने लिए सही का चुनाव करें.

पिछले 10 सालों में UPSC Exam के पैटर्न में कितना बदलाव आया है?

पिछले 10 साल में यूपीएससी एग्जाम के पैटर्न में बहुत सारे बदलाव हुए हैं. परीक्षा पहले से ज्यादा मुश्किल हो गई है और इसकी वजह यह है कि आवेदन करने वालों की संख्या बढ़ी है. नोलेज का विकास हुआ है, कई सारी चीजों को जोड़ा गया है. एक सिविल सर्वेंट के रूप में चुनौतियां बढ़ रही हैं तो यकीनन फिर सरकार में वैसे ही लोगों की जरूरत भी है जिनके नोलेज और प्रेशर का लेवल आम इंसान के मुकाबले ज्यादा हो. जिससे वे किसी भी स्थिति में अपने आपको ढालकर सरकार और जनता के लिए काम कर सके.

अंग्रेजी की अपेक्षा हिंदी में तैयारी करने वालों का UPSC में कम चुनाव होता है, ऐसा भेदभाव क्यों?
मुझे नहीं लगता कि यूपीएससी ऐसा किसी भी तरह का कोई भेदभाव करता है. दरसअल, ज्यादातर इंस्टीट्यूट में अंग्रेजी भाषा में पढ़ाया जाता है. दुर्भाग्यवश हिंदी में उस क्वालिटी लेवल में नहीं पढ़ाया जा रहा है. हमने खुद देखा है कि हिंदी में तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स में काफी संभावनाएं हैं और वो अंग्रेजी के कैंडिडेट्स से अच्छा कर सकते हैं, जरूरत है तो उन्हें एक सही प्लेटफॉर्म, क्वालिटी कॉन्टेंट और गाइडेंस की. इतना ही नहीं, हर वो इंसान UPSC में अच्छी रैंक ला सकता है अगर उसे अपनी मातृभाषा में अच्छा स्टडी मैटेरियल पढ़ने को और UPSC में लिखने को मिल जाए. बाकी टीचर्स का पता नहीं लेकिन इस समय मैं हिंदी को लेकर प्रतिबद्ध हूं और देखिएगा अगले साल आपको मेरे कई ऐसे स्टूडेंट्स देखने को मिल सकते हैं जो हिंदी में UPSC क्लियर करें.

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