Odisha Train Accident: ओडिशा ट्रेन हादसे के चार हफ्ते बीते, कई परिवारों को अब तक नहीं मिले अपनों के शव

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 28, 2023, 02:37 PM IST

Odisha Train Accident

Odisha Train Accident: ओडिशा ट्रेन हादसे को लगभग एक महीने होने वाले हैं लेकिन अभी तक कई परिवार ऐसे हैं जिनको उनके परिजन के शव नहीं मिले हैं.

डीएनए हिंदी: ओडिशा के बालासोर में 2 जून को भीषण ट्रेन हादसा हुआ था. इसमें तीन सौ से ज्यादा लोगों की जान गई. हादसे के 26 दिन बाद भी कई परिवार ऐसे हैं जिन्हें उनके परिजन के शव नहीं मिले हैं. शव पाने के लिए कई परिवारों ने ओडिशा में डेरा डाले हुए. अधिकारियों का कहना है कि शव मिलने में अभी भी चार-पांच दिन लग सकते हैं. शव देने से पहले डीएनए सैंपल लिए जा रहे हैं और सैंपल मैच करने के बाद ही शव दिए जा रहे हैं. यही वजह है कि इतने समय के बाद भी लोगों के शव उनके परिवारों को नहीं सौंपे जा सके हैं. 

बिहार के बेगूसराय जिले के बारी-बलिया गांव की बसंती देवी अपने पति का शव पाने के लिए पिछले 10 दिन से एम्स के पास एक सुनसान इलाके में स्थित 'गेस्ट हाउस' में डेरा डाले हुए हैं. नम आंखों के साथ उन्होंने कहा, 'मैं यहां अपने पति योगेन्द्र पासवान के लिए आई हूं. वह मजदूर थे, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस से घर लौटते समय बहनागा बाजार में दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी.'

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'पता ही नहीं है कब मिलेगा शव'
उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने कोई समय नहीं बताया है कि कब तक शव मिल पाएगा. बसंती देवी ने कहा, 'हालांकि कुछ अधिकारियों का कहना है कि इसमें पांच दिन और लगेंगे, अन्य का कहना है कि इसमें और समय लग सकता है. प्रशासन की ओर से कोई स्पष्टता नहीं है. मेरे पांच बच्चे हैं. तीन बच्चे घर पर हैं और दो बेटों को मैं साथ लाई हूं. मेरे पति घर में अकेले कमाने वाले थे. मुझे नहीं पता कि अब हमारा गुजारा कैसे हो पाएगा.' 

ऐसी ही स्थिति पूर्णिया के नारायण ऋषिदेव की है जो 4 जून से अपने पोते सूरज कुमार के शव का इंतजार कर रहे हैं. सूरज कोरोमंडल एक्सप्रेस से चेन्नई जा रहा था. अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सूरज नौकरी की तलाश में चेन्नई जा रहा था. उन्होंने कहा, 'अधिकारियों ने मेरे डीएनए सैंपल लिए हैं लेकिन अभी तक उसकी रिपोर्ट नहीं आई है.' पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के शिवकांत रॉय ने बताया कि जून के अंत में उनके बेटी की शादी थी जिसके लिए वह तिरुपति से घर लौट रहा था. शिवकांत रॉय ने कहा, 'मेरे बेटे का शव केआईएमएस अस्पताल में था लेकिन मैं बालासोर के अस्पताल में उसे ढूंढ रहा था. मुझे बाद में बताया गया कि केआईएमएस अस्पताल ने बिहार के किसी परिवार को उसका शव दे दिया है, जो उसे ले गए और उसका अंतिम संस्कार कर दिया.'

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डीएनए सैंपल की वजह से हो रही है देरी
इसी तरह बिहार के मुजफ्फरपुर की राजकली देवी अपने पति के शव का इंतजार कर रही हैं. उनके पति चेन्नई जा रहे थे, जब यह हादसा हुआ. डीएनए रिपोर्ट आने में देरी के कारण कम से कम 35 लोग 'गेस्ट हाउस' में डेरा डाले हुए हैं, जबकि 15 अन्य लोग घर लौट गए हैं. रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि वे दावेदारों से अपने डीएनए सैंपल उपलब्ध कराने की अपील कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'हम एम्स और राज्य सरकार के बीच केवल एक ब्रिज की तरह हैं.' 

इस बीच, भुवनेश्वर एम्स में तीन कंटेनर में संरक्षित 81 शव की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. अब तक कुल 84 परिवारों ने डीएनए सैंपल दिए हैं. चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस, हावड़ा जाने वाली एसएमवीपी-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी 2 जून को बालासोर जिले के बहनागा बाजार स्टेशन के पास एक घातक दुर्घटना का शिकार हो गई थी. इसमें करीब 300 लोगों की मौत हुई थी.

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