पंजाब और हरियाणा के किसान 13 जनवरी को दिल्ली के लिए कूच (Farmer Protest) करने वाले हैं. इसको लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. लेकिन उससे आज यानी 12 जनवरी को चंडीगढ़ में केंद्र सरकार और किसानों के बीच अहम बैठक होने वाली है. इसमें किसानों की मांगों को लेकर चर्चा की जाएगी. मोदी सरकार (Modi Govt) की ओर से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय किसान यूनियन से मुलाकात करेंगे.
यह बैठक चंडीगढ़ के सेक्टर 26 में महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में शाम 5 बजे होगी. इससे पहले भी इन्हीं तीनों केंद्रीय मंत्रियों के साथ पहली बैठक 8 फरवरी को हुई थी. किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च से पहले इस मीटिंग से कुछ हल निकलने की उम्मीद जताई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक सरकार किसानों की मांगों को मान सकती है.
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संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसानो संघों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत अपनी मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के सिलसिले में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है.
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
हरियाणा सरकार ने अंबाला के पास शंभू में पंजाब से लगी सीमा सील कर दी है. किसान मार्च को रोकने के लिए जींद और फतेहाबाद जिलों की सीमाओं पर व्यापक इंतजाम किए गए हैं. हरियाणा सरकार ने शांति भंग होने की आशंका के चलते 11 से 13 फरवरी तक सात जिलों अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं और एक साथ कई एसएमएस (संदेश) भेजने पर रोक लगा दी है. वहीं दिल्ली बॉर्डर को भी सील किया गया है. फ्लाईओवर पर सड़क के दोनों किनारों पर लोहे की चादरें लगाई गई हैं. पानी की बौछारें और दंगा-रोधी ‘वज्र’ वाहन तैनात किए गए हैं.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे जिस तरह के आंदोलन करते हैं वह लोकतंत्र में सही नहीं है और हमने पिछली बार ऐसा देखा है. बसें और ट्रेनें हैं लेकिन ट्रैक्टर ले जाना, ट्रैक्टरों के आगे कुछ हथियार बांधना और पूछे जाने पर नहीं रुकना, इनकी अनुमति नहीं दी जा सकती. साल 2020 में पंजाब और अंबाला के आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में किसान शंभू सीमा पर एकत्र हुए थे और दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए पुलिस अवरोधकों को हटा दिया था. मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं सिंघू, टिकरी और गाजीपुर पर एक साल तक धरना दिया था.
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