Farmer Protest: 5 घंटे चली बैठक, फिर भी नहीं बनी बात, किसानों की क्या हैं 10 बड़ी मांगें?

Written By रईश खान | Updated: Feb 13, 2024, 09:48 AM IST

Farmers Protest

Farmers Protest 2.0 Updates: चंडीगढ़ में किसान और केंद्रीय मंत्रियों की बीच पांच घटे चली बैठक बेनतीजा निकली है. क्या है किसानों की मांग और किस पर बात नहीं बन सकी.आइये जानते हैं.

देश की राजधानी दिल्ली में अन्नदाता एक बार फिर धरना देने के लिए निकल पड़े हैं. किसानों का मार्च दिल्ली की ओर कूच कर रहा है. इससे पहले सोमवार को चंडीगढ़ में केंद्र सरकार और किसानों के बीच 5 घंटे तक चली बैठक बेनतीजा रही. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि सरकार हमारी किसी भी मांग को लेकर गंभीर नहीं है. MSP पर कानून और कर्जमाफी को लेकर बात नहीं बन पाई है. इसलिए हम आज दिल्ली की ओर मार्च करेंगे.

सरकार की तरफ से केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और पीयूष गोयल किसानों से बातचीत करने पहुंचे थे. मीटिंग के बाद अर्जुन मुंडा ने कहा कि अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई और सरकार ने प्रस्ताव रखा कि शेष मुद्दों को एक समिति के गठन के माध्यम से सुलझा लिया जाएगा. सरकार हमेशा चाहती है कि हम हर मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझा सकें. लेकिन किसान इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हुए.

किस बात पर बिगड़ी बात?
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर कहा कि सरकार के साथ चली लंबी चर्चा के दौरान हर मुद्दे पर बात हुई. हमारी कोशिश किसी भी टकराव से बचने की थी. हम भी चाहते थे कि बातचीत के जरिए सभी मुद्दों को सुलझा लिया जाए. लेकिन सरकार ने हमें कोई ऐसी पेशकश ही नहीं कि जिससे हम अपने आंदोलन को रोकने पर पुनर्विचार कर सकें.

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उन्होंने दावा किया कि सरकार की मंशा साफ नहीं है. वह हमें कुछ भी नहीं देना चाहती. हमने उनसे निर्णय लेने के लिए कहा था. लेकिन उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी पर निर्णय नहीं लिया. हम सुबह 10 बजे दिल्ली की ओर बढ़ेंगे और जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी, वापस नहीं लौटेंगे.

क्या हैं किसानों की मांगें?

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गारंटी कानून बनाया जाए.
  • किसानों का कर्ज माफ हो. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें मानी जाएं.
  • अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी हत्याकांड के पीड़ितों को न्याय मिले.
  • दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के दौरान मरने वाले किसानों के लिए मुआवजा और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.
  • भारत को विश्व व्यापार संगठन (WTO) से बाहर निकाला जाए. सभी मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए.
  • किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए 10 हजार रुपये प्रति महा पेंशन दी जाए.
  • मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 100 के बजाय 200 दिनों का रोजगार दिया जाए. 700 रुपये की दैनिक मजदूरी और योजना को खेती से जोड़ा जाना चाहिए.
  • जली संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए.
  • प्रधानमंत्री फसल योजना में सभी फसलों को शामिल किया जाए.
  • मिर्च और हल्दी जैसे मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन हो.

दिल्ली में धारा 144 लागू
किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली-हरियाणा में सुरक्षा चाक-चौंबद की गई. सामाजिक अशांति पैदा होने की आशंका के मद्देनजर दिल्ली में एक महीने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू की गई है. वाहनों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर सीमेंट की बैरिकेडिंग और सड़क पर नुकीली कीलें बिछाकर किलेबंदी की गई है.

वहीं,  हरियाणा सरकार ने भी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत 15 जिलों में प्रतिबंध लगा दिए हैं. अंबाला, जींद, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र जिलों में पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी गई है और किसी भी प्रकार के प्रदर्शन करने या ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ मार्च निकालने पर प्रतिबंध है. किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि ट्रैक्टर-ट्रॉली का एक काफिला सुबह अमृतसर के ब्यास से निकला, जो फतेहगढ़ साहिब जिले में एकत्र होगा. मोगा, बठिंडा और जालंधर जिलों के कई किसान भी मार्च में शामिल होने के लिए अपने गांवों से निकल पड़े हैं.

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