Farmer Protest: किसानों का आंदोलन होगा तेज, हरियाणा में इस तारीख तक बंद रहेगा इंटरनेट

Written By रईश खान | Updated: Feb 20, 2024, 12:11 AM IST

Delhi Chalo: किसानों का कहना है कि सरकार को 23 फसलों पर MSP गारंटी कानून लागू करना होगा. उन्होंने जो प्रस्ताव दिया है वह हमें मंजूर नहीं है. हम 21 फरवरी से दिल्ली के लिए कूच करेंगे.

पंजाब और हरियाणा के किसान शंभू बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. किसान संगठनों और सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत हुई लेकन इसमें बात नहीं बन सकी. किसानों ने सरकारी एजेंसियों द्वारा 5 साल तक दाल, मक्का और कपास की खरीद MSP पर करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. किसानों ने 21 फरवरी से दिल्ली कूच (Delhi Chalo) का ऐलान किया है. इसके चलते हरियाणा में इंटरनेट पर पांबदी बढ़ा दी है.

हरियाणा सरकार ने किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के मद्देनजर 7 जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा और एसएमएस भेजने पर पाबंदी को 20 फरवरी तक बढ़ा दिया है. राज्य सरकार ने एक आदेश में कहा कि अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जिंद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में मंगलवार तक इंटरनेट सेवा बंद रहेगी. इससे पहले 13, 15 और फिर 17 फरवरी को मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अवधि को बढ़ाया गया था.

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी सहित अपनी अन्य मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने को लेकर 'दिल्ली चलो' मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं. हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवी एसएन प्रसाद ने एक आदेश में कहा कि राज्य में मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के बाद पाया गया कि अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जिंद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जिले में हालात अब भी गंभीर और तनावपूर्ण हैं.

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इंटरनेट सेवाओं का दुरुपयोग कर भड़काऊ सामग्री और अफवाहें फैलाकर इन जिलों में सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न किए जाने की आशंका है.

क्या हैं किसानों की मांगें?
किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने , 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.

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