डीएनए हिंदी: राजधानी दिल्ली समेत देश के कई राज्यों के लोगों ने पिछले साल दिवाली पर पटाखे नहीं चलाए थे क्योंकि प्रदूषण के चलते सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और राज्य सरकार ने पटाखों को बैन (Firecrackers Ban) किया था. दिल्ली सरकार ने इस साल भी पटाखों को बैन कर दिया है. इसको लेकर अब मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. लोकसभा सांसद और बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और एक विशेष आदेश देने की मांग की है.
दरअसल, मनोज तिवारी ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि कोर्ट ने केवल प्रदूषण करने वाले पटाखों पर बैन लगाने की मांग की है लेकिन राज्य सरकारों ने सभी तरह के पटाखों पर बैन लगाया है जो कि लोगों के लिए झटका साबित हुआ है. मनोज तिवारी की याचिका में यह तक कहा गया है कि राज्य सरकारों का यह आदेश धर्म की स्वतंत्रता का उल्लंघन है और इसे वापस लिया जाना चाहिए.
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धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
मनोज तिवारी ने धार्मिक स्वतंत्रता की बात करते हुए कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार छीना नहीं जा सकता है. उन्होंने मांग की है कि SC के पिछले साल 29 अक्टूबर के आदेश के मुताबिक एक संतुलन कायम रखने की जरूरत है. इस याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली समेत तमाम राज्य अनुमति योग्य पटाखों (Firecrackers) की खरीदी, बिक्री और उन्हें चलाने के लिए नए दिशानिर्देश जारी करें. वहीं जो राज्य फिर भी इस मांग को नहीं मान रहे हैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐसा करने के लिए निर्देशित किया जाए.
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पटाखों से खुशी का इजहार करते हैं लोग
बीजेपी सांसद ने अपनी याचिका में कहा है कि दिवाली और छठ जैसे मौके पर लाखों लोग आतिशबाजी करके अपनी खुशी जताते हैं. ऐसे मौकों पर पुलिस भी उनके खिलाफ कार्रवाई तेज कर देती है. पटाखे बेचने वाले दुकानदारों के खिलाफ केस दर्ज करके उनकी सामान की जब्ती और गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाती है. यह सीधे-सीधे धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है. मनोज तिवारी ने प्रदूषण न करने वाले ग्रीन पटाखों को बेचने और खरीदने की अनुमति मांगी है.
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आपको बता दें कि पिछले साल की तरह ही दिल्ली सरकार ने इस वर्ष भी पटाखों पर बैन लगा दिया है जिसके चलते यह मांग की जा रही है कि प्रदूषण वाले पटाखे न सही लेकिन ग्रीन पटाखे तो चलाने ही दिए जाएं.
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