महात्मा गांधी क्यों नहीं हुए थे आजादी के पहले जश्न में शामिल, जानिए भारत की आजादी से जुड़े 5 रोचक तथ्य

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 14, 2024, 07:44 PM IST

Independence day 2024: स्वतंत्रता दिवस को लेकर पूरे देश में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. चारों तरफ सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जा चुके हैं. आज हम आपको आजादी से जुड़े पांच ऐसे रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे.

Independence day 2024: 15 अगस्त को भारत अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. इस दिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लाल किले पर पीएम मोदी तिरंगा फहराएंगे और देश के नाम संबोधन करेंगे. ये दिन हमे उन वीर सपूतों की याद दिलाता है जिन्होंने स्वाधीनता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था.  अंग्रेजों ने भारत पर लगातार 200 साल तक हुकुमत की थी. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत को आजादी तो 14 अगस्त की मध्यरात्रि को ही मिल गई थी. आइए जानते है स्वतंत्रा दिवस( Independence Day 2024) से जुड़ी पांच बातें. 

गांधी जी ने क्यों नहीं मनाया था पहला आजादी का उत्सव?

आपको जानकार हैरानी होगी की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पहले स्वतंतता दिवस के उत्सव में शामिल नहीं हो सके थे. महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी बताते हैं की जब पूरा देश अपनी आजादी के उत्सव मना रहा था उस समय महात्मा गांधी दिल्ली मे नहीं थे. तुषार आगे बताते हैं की गांधी जी उस समय भारत-पाकिस्तान के बीच हुए बटवारे के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा को कम करने के लिए कोलकाता में अनशन पर बैठे हुए थे.


क्या सिखाता है लहराता हुआ तिरंगा    
15 अगस्त को पूरा देश में ध्वजारोहण होता है, बच्चे, जवान, बूढ़े सब आजादी के रंग मे रंगे होते हैं. लेकिन आपने कभी गौर किया है की इस दिन हर स्कूल, चौराहे और छतों पर शान से लहराते हुए तिरंगे के तीन रंगों का क्या है. तिरंगे की सबसे ऊपरी जगह में केसरिया रंग से रंगी पट्टी देश की शक्ति और साहस को दर्शाती है. बीच में सफेद रंग की पट्टी शांति का संदेश देती है. उसके नीचे हरे रंग की जो पट्टी हमे भूमि की उर्वरता, वृद्धि दर्शाती है. तिरंगे के बीच में बना नीले रंग का चक्र जीवन और मृत्यु के चक्र को दर्शाता है. 


1948 की वजाय 1947 में क्यों मिली आजादी    
भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउण्टबेटन ही वो व्यक्ति थे जिनहोने 15 अगस्त को भारत की आजादी का दिन चुना था. माउण्टबेटन को ब्रिटिश संसद द्वारा जून 1948 तक भारत को सत्ता सौंपने के आदेश दिये गए थे. दूसरी तरफ गांधी और जिन्ना के बीच लगातार चल रहे बटवारे के गतिरोध को देखते हुए उस समय जो सांप्रदायिक हिंसा हो रही थी उससे बचने के लिए 1948 के बजाय 15 अगस्त 1947 को ही आजादी देने का निर्णय लिया गया. इसके बाद पंडित नेहरू 14 अगस्त की रात को ऐतिहासिक भाषण Tyrst with Destiny दिया था.

ऐसे तय हुआ था आजादी का समय
इस दिन से जुड़ी एक और दिलचस्प बात है कि 14 अगस्त के मध्यरात्रि को ही आजादी के लिए चुना गया. ये बात तय हो चुकी थी 15 अगस्त को भारत को आजादी मिलने जा रही है. राजेंद्र प्रसाद, आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति बनने वाले थे. उज्जैन के लेखक और ज्योतिश्चार्य पंडित सूर्यनरायन व्यास राजेंद्र बाबू के काफी नजदीकी माने जाते थे. राजेंद्र प्रसाद ने इन्हें दिल्ली बुलाया और पूछा कि ज्योतिष विज्ञान के हिसाब से भारत के आजादी के लिए कौन सा दिन अच्छा रहेगा. काफी विचार विमर्श के बाद ये तय हुआ की 14 अगस्त का दिन नक्षत्र के हिसाब से अच्छा दिन नही है और अंत में ये निर्णय हुआ कि भारत की आजादी का समय की रात 12 बजे तय किया गया.  

भारत के साथ ये देश भी मनाते है आजादी का जश्न 
जहां भारत हर साल अपना आजादी का जश्न 15 अगस्त को मनाता है वहीं 5 और देश भी है जो इसी तारीख को आजादी का उत्सव मनाते हैं . ये 5 देश हैं दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, बहरीन, लिकटेंस्टीन और कांगो. दक्षिण कोरिया को 15 अगस्त 1945 को जापान से आजादी मिली थी. साल 1945 में उत्तर कोरिया को भी जापान से आजादी मिल गयी थी. आपको बता दें कि भारत के तरह बहरीन भी ब्रिटिश हुकूमत से 15 अगस्त को आजाद हुआ था. इस देश को आजादी साल 1971 में मिला था. दुनिया के सबसे छोटे देशों मे से एक लिकटेंस्टीन भी जर्मनी से 15 अगस्त 1866 को आजाद हुआ था. 15 अगस्त 1960 को फ्रांस के कब्जे से अफ्रीकी देश कॉन्गो को भी आजादी मिली थी. आजादी मिलने के बाद यह देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के नाम से जाना जाने लगा.  

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