CJI Chandrachud ने जब उड़ते प्लेन में तैयार किया कोर्ट का फैसला, फ्लाइट में कैसे मिला इंटरनेट, बताई मजेदार कहानी

सुमित तिवारी | Updated:May 18, 2024, 08:10 PM IST

CJI Chandrachud

CJI DY Chandrachud: गुजरात हाईकोर्ट के जिला न्यायधीशों की पदोन्नति नीति के फैसले के बारे में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक मजेदार घटना साझा की है.

CJI DY Chandrachud: यदि आप विमान में सफर करते हैं तो यह जानते होंगे कि उड़ान के दौरान इंटरनेट सेवा उपलब्ध नहीं होती है. हालांकि विदेश में कई जगह अब पैसेंजर को उड़ते विमान में भी वाई-फाई सेवा दी जाने लगी है, लेकिन भारतीय विमानों में अभी यह सेवा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में यदि आपको उड़ते विमान में अचानक इंटरनेट की जरूरत पड़ जाए तो क्या करें? इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक अनूठा किस्सा साझा किया है. दरअसल  सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को खुद फ्लाइट में इंटरनेट की जरूरत पड़ गई थी. सीजेआई को एक फैसले का मसौदा तैयार करना था, जिसके लिए उन्हें इंटरनेट की जरूरत थी. तब उन्होंने फ्लाइट में इंटरनेट का जुगाड़ किस तरह किया, इसका मजेदार किस्सा खुद सीजेआई ने अब सभी के साथ साझा किया है. 

जजों की पदोन्नति से जुड़ा हुआ फैसला तैयार करना था

दरअसल सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच ने एक फैसला सुनाया है. इस फैसले में गुजरात हाईकोर्ट के जिला न्यायधीशों की पदोन्नति नीति को बरकरार रखा गया है. इसी फैसले को तैयार करने के लिए सीजेआई को उस समय इंटरनेट की जरूरत पड़ी थी, जब वे जी-20 समिट में शामिल होकर वापस भारत लौट रहे थे. उन्होंने कहा कि हमने अपने न्यायाधीश भाइयों के सहयोग के लिए तब विमान के इंटरनेट का इस्तमाल किया था. 


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इसलिए किया था इंटरनेट का उपयोग

सीजेआई ने कहा, 'हमें आज फैसला सुनाना था और मै जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए ब्राजील में था. इसलिए मैंने विमान के इंटरनेट का इस्तेमाल किया और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने मेरे साथ मसौदा दस्तावेज साझा किया, जस्टिस मनोज मिश्रा भी उस दस्तावेज पर सहमत थे.' उन्होंने कहा कि जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा का साथ देने के लिए मैंने फ्लाइट के इंटरनेट का इस्तमाल किया था. 

इस मामले पर सुनाया था फैसला

दरअसल सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह फैसला गुजरात हाईकोर्ट द्वारा योग्यता-सह- वरिष्ठता के आधार पर जिला न्याधीश की नियु्क्तियां करने वाले फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल, 2023 को मुख्य मामले में उच्च न्यायालय और राज्य सरकार से जवाब मांगा था. हालांकि, 4 दिन बाद, सरकार ने एक पदोन्नति सूची अधिसूचित कर दी थी.

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