ISRO वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने वालों की खैर नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 02, 2022, 12:57 PM IST

Supreme Court reject anticipatory bail granted to accused of Nambi Narayanan case

ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को झूठे केस में फंसा दिया गया था. उन्होंने सालों तक इस ज्यादती के खिलाफ लड़ाई लड़ी.

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को झूठे मामले में फंसाने वाले आरोपियों को केरल हाईकोर्ट से मिली अग्रिम ज़मानत को रद्द कर दिया. इन आरोपियों में पुलिस/खुफिया ब्यूरो के अधिकारी आर बी श्रीकुमार, पीएस जयप्रकाश, थंपी एस दुर्गा दत्त और विजयन शामिल हैं. सीबीआई ने आरोपियों को मिली ज़मानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को 4 हफ्ते में नए सिरे से ज़मानत पर फैसला लेने को कहा. हालांकि, अभी 5 हफ्ते तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होगी.

पूरा मामला क्या है

स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाने में लगे नंबी नारायणन को 1994 में केरल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन पर तकनीक विदेशियों को बेचने का आरोप लगाया गया. बाद में सीबीआई जांच में पूरा मामला झूठा निकला. सितम्बर 2018 में  सुप्रीम कोर्ट ने माना कि नंबी नारायणन के खिलाफ केरल पुलिस की ओर से दर्ज मुकदमा दुर्भावनापूर्ण था. सुप्रीम कोर्ट ने नंबी नारायणन को 50 लाख का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज डी के जैन की अध्यक्षता में नंबी नारायणन को फंसाने वालों पर कार्रवाई के लिए विचार करने के लिए तीन सदस्य कमेटी का भी गठन किया.

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डीके जैन कमेटी की रिपोर्ट पर CBI ने जांच की

जस्टिस डीके जैन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस अधिकारियों की गलती का हवाला दिया. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट इस कमेटी की रिपोर्ट पर  कार्रवाई की मांग की .सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आगे जांच के लिए कमेटी की रिपोर्ट  सीबीआई को सौंप दी.बाद में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर पुलिस अधिकारियों की जांच शुरू की. इसी बीच चार आरोपियों को हाई कोर्ट से ज़मानत मिल गई.

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ज़मानत के खिलाफ CBI की दलील

केरल हाई कोर्ट से आरोपियों को मिली ज़मानत के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की. सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलीसीटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि ये अपराध राष्ट्र के खिलाफ था. और इसमे विदेशी ताकतों का हाथ होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता.इस मामले में आरोपियों को कस्टड़ी में लेकर पूछताछ की ज़रूरत पड़ सकती है, पर आरोपियों को हाईकोर्ट से मिली राहत के मद्देनजर यह संभव नहीं है.

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