दिल्ली दंगा मामले (Delhi Riots Case) में आरोपी उमर खालिद को एक बार फिर राहत नहीं मिली है. जेएनयू के पूर्व छात्र की जमानत याचिका को कड़कड़डूमा कोर्ट ने खारिज कर दिया है. उमर पिछले लगभग 4 सालों से जेल में बंद है. खालिद ने नियमित जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. पूर्व जेएनयू छात्र पर नफरत फैलाने और देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने समेत कई आरोप हैं. इसके अलावा, जेएनयू में आतंकी अफजल गुरु के समर्थन और भारत विरोधी नारे लगाने का भी आरोप है.
2020 में हुई थी उमर खालिद की गिरफ्तारी
उमर खालिद सितंबर 2020 से तिहाड़ जेल में बंद है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी है. साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगे में जान-माल का भारी नुकसान हुआ था. पूर्व जेएनयू छात्र सीएए (CAA) विरोधी प्रदर्शनों का प्रमुख चेहरा था. इससे पहले भी भारत विरोधी बयान देने, कश्मीर की आजादी की मांग करने समेत ऐसे कई बयानों को लेकर देश के कई और अदालतों में भी उस पर केस चल रहे हैं.
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UAPA के तहत उमर खालिद पर चल रहा है केस
पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद पर कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत केस दर्ज किया गया है. एडिश्नल सेशन जज समीर बाजपेयी ने जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद 13 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पहले उसने सुप्रीम कोर्ट में भी जमानत याचिका दाखिल की थी, लेकिन फिर उसे वापस ले लिया था.
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उमर खालिद को कोर्ट से अब तक सिर्फ एक बार एक हफ्ते के लिए बहन की शादी में शामिल होने के लिए सशर्त जमानत मिली थी. दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में उमर पर आपराधिक साजिश रचने और दिल्ली के अलावा दूसरे शहरों में भी ऐसे हालात बनाने के लिए षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है.
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