बॉम्बे हाई कोर्ट ने डीयू के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को बरी कर दिया और उनकी उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया है. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने यह अहम फैसला दिया है. साईंबाबा साल 2014 से ही जेल में बंद हैं. गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत माओवादी समूहों के साथ संबंध का आरोप लगाने वाले एक मामले में उन्हें हाई कोर्ट ने दोषमु्क्त कर दिया है. इस मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र हेम मिश्रा को भी आरोप मुक्त कर दिया गया है.
निचली अदालत से उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद डीयू (Delhi University) ने जी एन साईंबाबा को प्रोफेसर की नौकरी से हटा दिया था. इस मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र हेम मिश्रा, महेश तिर्की, विजय तिर्की, नारायण सांगलीकर, प्रशांत राही और पांडु नारोटे को भी आरोप मुक्त कर दिया गया है. नारोटे की साल 2022 में स्वाइन फ्लू से मौत हो चुकी है.
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UAPA के तहत जी एन साईंबाबा को किया गया था अरेस्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने यह फैसला सुनाया है. जस्टिस विनय जोशी और जस्टिस वाल्मिकी एसए मेनेजेस ने इस मामले में जीएन साईंबाबा और उनके सह-आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया है. साल 2014 में माओवादी गुटों से जुड़े होने और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में इन सभी को गिरफ्तार किया गया था.
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सुप्रीम कोर्ट का रूख कर सकती है राज्य सरकार
कोर्ट का फैसला राज्य सरकार और सुरक्षा बलों के लिए बड़ा झटका है. माना जा रहा है कि इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का रूख कर सकती है. हाई कोर्ट ने 50 हजार के निजी मुचलके पर सबको रिहा किया है. जी एन साईंबाबा दिव्यांग है और अपनी गिरफ्तारी से पहले तक वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी पढ़ाते थे. कई राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों की वह मुखर आवाज रहे हैं.
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