गांधी परिवार के वफादार हैं Mallikarjun Kharge, राहुल और प्रियंक रखा बच्चों का नाम

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 20, 2022, 10:50 AM IST

Mallikarjun Kharge गांधी परिवार के सभी करीबी नेताओं में भी सबसे आगे रहे हैं और उन्होंने परिवार के लिए अपनी राजनीतिक छवि तक पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

डीएनए हिंदी: देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने जीत लिया है. खड़गे ने इस मौके पर अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) समेत गांधी परिवार (Gandhi Family) का आभार जाताया है. भले ही उनके प्रतिद्वंदी शशि थरूर रहे हों लेकिन खड़गे का जीतना तय था जिसकी वजह उनकी गांधी परिवार से तक करीबी रही है. खड़गे को गांधी परिवार के सबसे  वफादार नेताओं में से एक माना जाता रहा है और इसी का नतीजा है कि वे कांग्रेस पार्टी के शीर्षस्थ पद पर बैठे हैं.

गांधी परिवार को खुश करने के लिए उनकी तारीफ करने के साथ ही उनके लिए विचित्र घटनाओं को अंजाम देने वाले नेताओं की कोई कमी नहीं रही. वहीं अहम बात यह है कि खड़गे ऐसे नेताओं में कभी शामिल नहीं हुए. वे हमेशा बिना कुछ किए ही गांधी परिवार की गुडबुक्स में रहे हैं. इसी का नतीजा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तक उनका सम्मान करते हैं क्योंकि खड़गे की पकड़ न केवल कांग्रेस आलाकमान बल्कि गांधी परिवार के भी आलाकमान यानी सोनिया गांधी तक रही है.

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बच्चों के नाम में ही दिखता है गांधी परिवार से जुड़ा

गांधी परिवार से उस जुड़ाव का ही नतीजा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के बच्चों के नाम में गांधी परिवार की झलक दिखती है. उनके बच्चों के नाम राहुल, प्रियंक, प्रियदर्शनी, जयश्री और मिलिंद हैं. राहुल और प्रियंक के अलावा प्रियदर्शनी पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का नाम था.  

आपको बता दें कि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की इसी नीति के चलते वह कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते रहे हैं. वे 1971 से 2008 तक लगातार 9 बार कर्नाटक विधानसभा के सदस्य रहें है. वे कर्नाटक के कैबिनेट मंत्री से लेकर केंद्रीय कांग्रेस के अहम राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं. वह 2009 में पहली बार गुलबर्गा सीट से लोकसभा चुनाव में उतरे थे और जीत कर मनमोहन सरकार के मंत्री भी बने थे. 2014 में भी जीते लेकिन गुलबर्गा सीट पर वे 2019 में हार गए थे जो कि उनकी पहली चुनावी हार है.

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जिम्मेदार में सबसे आगे हैं खड़गे

उनका महत्व इस बात से भी समझा जा सकता है कि वे 2014 में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के अहम पद यानी लोकसभा में नेता विपक्ष थे. इसी तरह जब 2019 का चुनाव हारे तो उन्हें राज्यसभा में नेता विपक्ष बनाया गया था. खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना पार्टी के लिए फायदे का सौदा हो सकता है क्योंकि वे दलित हैं और इस लिहाज से वे उत्तर और दक्षिण दोनों ही क्षेत्रों में पार्टी के लिए एक दलित समर्थक मैसेज होने पर काम करेगा.

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