Gauri Lankesh हत्याकांड का आरोपी महाराष्ट्र चुनाव से पहले शिवसेना में शामिल

Written By मीना प्रजापति | Updated: Oct 19, 2024, 11:28 PM IST

गौरी लंकेश हत्याकांड का आरोपी श्रीकांत पंगाकर शिवसेना में शामिल हो गया है. गौरी लंकेश की हत्या 2017 में की गई थी. गौरी लंकेश पत्रकार और कार्यकर्ता थीं.

साल 2017 में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या कर दी गई थी. गौरी लंकेश की हत्या का आरोपी श्रीकांत पंगारकर ने महाराष्ट्र के जालना में शिवसेना जॉइन कर ली. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, 'पंगारकर एकनाथ शिंदे की नेतृत्व वाली शिवसेना में पार्टी नेता और पूर्व राज्य मंत्री अर्जुन खोतकर की उपस्थिति में शामिल हुआ. 

PTI ने खोतकर के हवाले से बताया कि पंगारकर पूर्व शिव सैनिक हैं और पार्टी में वापस आ गए हैं. उन्हें जालना विधानसभा चुनाव अभियान का प्रमुख नामित किया गया है. खोतकर ने यह भी कहा कि वह जालना से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन उन्होंने कहा कि महायुति (सत्तारूढ़ गठबंधन जिसमें शिव सेना, बीजेपी और अजित पवार नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल है) में सीट बंटवारे पर चर्चा अभी चल रही है.  

गौरी लंकेश हत्याकांड में श्रीकांत पंगारकर की भूमिका
5 सितंबर, 2017 में पत्रकार गौरी लंकेश को उनके बेंगलुरु स्थित घर के बाहर उन्हें गोली मार दी गई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पत्रकार-कार्यकर्ता की हत्या की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बताया था कि पंगारकर मुख्य संदिग्ध अमोल काले का वरिष्ठ सहयोगी है.

SIT ने बताया कि काले ने खुलासा किया था कि गौरी लंकेश की हत्या के लिए महाराष्ट्र के एक शख्स से ऑर्डर मिले थे. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच ने खुलासा किया कि पंगारकर गौरी लंकेश की हत्या से पहले और बाद में भी अमोल काले के संपर्क में था. 

2001 से 2006 के बीच अविभाजित शिवसेना के जालना नगरपालिका पार्षद रहे पंगारकर को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था और इस साल 4 सितंबर को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उसे जमानत दे दी थी. 2011 में शिवसेना द्वारा टिकट देने से इनकार किए जाने के बाद, पंगारकर दक्षिणपंथी हिंदू जनजागृति समिति में शामिल हो गया. 


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इस साल अगस्त में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2018 के हथियार बरामदगी मामले और पुणे में सनबर्न फेस्टिवल पर हमला करने की कथित साजिश रचने के मामले में पंगारकर और चार सह-आरोपियों को जमानत दे दी थी, जिसमें साजिश के आरोप को साबित करने के लिए प्रथम दृष्टया अपर्याप्त सबूतों का हवाला दिया गया था. आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), विस्फोटक अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के कई प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया.

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