Ladakh में बन रहा देश का पहला जियो थर्मल प्लांट, जानिए जमीन की गर्मी से कैसे बनेगी बिजली

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 14, 2022, 04:24 PM IST

लद्दा के पुगा में बन रहा जियो थर्मल प्लांट

Geo Thermal Energy Plant: लद्दाख की पुगा घाटी की जियो थर्मल एनर्जी का इस्तेमाल बिजली बनाने में करने के लिए वहां ड्रिलिंग का काम शुरू कर दिया गया है और शुरुआती नतीजे भी काफी उत्साहजनक हैं.

डीएनए हिंदी: 21वीं सदी की सबसे बड़ी ज़रूरत है ऊर्जा (Energy). तमाम वैज्ञानिक ऊर्जा के नए-नए स्रोत खोजने में सालों से लगे हुए हैं. ऐसी ही एक ऊर्जा है जियो थर्मल ऊर्जा (Geothermal Energy) यानी कि जमीन के अंदर की गर्मी से पैदा होने वाली है. भारत के लद्दाख क्षेत्र की पुगा घाटी (Puga Valley) एक ऐसी जगह है जहां जियो थर्मल एनर्जी सबसे ज्यादा है. यहां जमीन के अंदर इतनी ज्यादा गर्मी है कि कहीं-कहीं तो जमीन पर पड़ा पानी अपने-आप उबलने लगता है. इसी ऊर्जा का सही इस्तेमाल करने के लिए भारत और आइसलैंड के वैज्ञानिकों ने मिलकर पुगा में एक जियो थर्मल प्लांट बनाने का काम शुरू कर दिया है जो यहां की गर्मी से बिजली बनाएगा.

लद्दाख के पुगा में इंजीनियरों ने खुदाई शुरू की है. शुरुआती नतीजे काफी उत्साहजनक हैं. पुगा में जहां एक-एक मीटर की दूरी पर ड्रिलिंग की जा रही है वहां जमीन से भारी मात्रा में भाप निकल रही है. इससे यह साफ होता है कि यहां जियो थर्मल एनर्जी का भविष्य उज्ज्वल है. दरअसल, जियो थर्मल प्लांट को चलाने के लिए इसी गर्मी का इस्तेमाल किया जाता है जो पानी को भाप में बदल देती है. जियो थर्मल की खासियत यह है कि यह कभी खत्म नहीं होती और दिन के 24 घंटे इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. शुरुआत में 35 मीटर गहराई की खुदाई की गई है और 100 डिग्री तक का तापमान आसानी से मिल जा रही है.

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10 गांवों में फ्री में मिलेगी बिजली
रिपोर्ट के मुताबिक, यह ड्रिलिंग 500 मीटर गहरी की जाएगी जिससे यह पता लगाया जा सके कि पुगा क्षेत्र में जियो थर्मल ऊर्जा कितनी प्रभावी हो जाए. आगे चलकर इस गहराई को बढ़ाकर एक किलोमीटर तक किया जाएगा. अभी 1 मेगावॉटल बिजली बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इसे साल के आखिर तक पूरा कर लिया जाएगा और 10 गांवों को मुफ्त में बिजली की सप्लाई की जाएगी.

पुगा का यह जियो थर्मल प्लांट समुद्र तल से 4,400 मीटर की ऊंचाई पर है. लेह से 190 किलोमीटर दूर यह साइट 5 वर्ग किलोमीटर के बराबर है. कहा जा रहा है कि यहां 100 मेगावॉट से भी ज्यादा बिजली पैदा करने की क्षमता है. अगर पहला प्लांट सफल होता है तो यहां और गहरी ड्रिंलिंग करके जमीन के अंदर की ऊर्जा को टैप किया जाएगा.

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कैसे काम करती है जियो थर्मल एनर्जी?
पृथ्वी की आंतरिक संरचनाओं की वजह से कहीं-कहीं ऐसी स्थिति बन जाती है कि वहां का तापमान बेहद ज्यादा होता है. यह तापमान कहीं-कहीं पर धरती की सतह पर भी महसूस किया जा सकता है. जियो थर्मल एनर्जी का इस्तेमाल करके पानी को गर्म किया जाता है. यही गर्म पानी भाप में बदलता है और बिजली बनाने वाले टरबाइन को घुमाता है और बिजली पैदा होती है. बाकी के थर्मल प्लांट में भी पानी को भाप में बदला जाता है लेकिन वहां पानी को गर्म करने के लिए कोयला और अन्य ईंधनों का इस्तेमाल किया जाता है. 

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