डीएनए हिंदी: कांग्रेस (Congress) के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad
), कैप्टन अमरिंदर (Captain Amarinder) की राह पर चल पड़े हैं. उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बनाई थी, अब गुलाम नबी आजाद भी जल्द अपनी पार्टी का गठन कर सकते हैं. पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे तो कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए बेहद खराब रहे थे लेकिन गुलाम नबी आजाद, अब अपनी आजाद पारी खेलने का मन बना चुके हैं.
गुलाम नबी आजाद के करीबी जीएम सरूरी ने शनिवार को कहा कि आजाद अपनी स्वयं की एक पार्टी शुरू करने वाले हैं और एक पखवाड़े के भीतर इसकी पहली इकाई जम्मू-कश्मीर में गठित कर दी जाएगी.
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क्या होगी आजाद की पार्टी की रणनीति?
जीएम सरूरी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर की पांच अगस्त, 2019 से पहले की स्थिति की बहाली पार्टी के घोषणापत्र का हिस्सा होगी. कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के कई प्रमुख नेताओं ने आजाद के समर्थन में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, जिनमें सरूरी भी शामिल हैं.
BJP के साथ नहीं काम करेगी आजाद की पार्टी
जीएम सरूरी ने कहा कि उनके नेता वैचारिक रूप से धर्मनिरपेक्ष हैं और उनके भारतीय जनता पार्टी (BJP) के इशारे पर काम करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. उन्होंने यह भी दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री आजाद द्वारा कांग्रेस के साथ अपने पांच दशक से अधिक पुराने संबंधों को समाप्त करने के बाद कांग्रेस के सैकड़ों वरिष्ठ नेताओं, पंचायती राज संस्था के सदस्यों और प्रमुख कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दे दिया है.
कश्मीर की सियासत करेंगे गुलाम नबी आजाद
कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के पूर्व उपाध्यक्ष सरूरी ने कहा, 'आजाद हमारे नए दल की शुरुआत करने से पहले अपने शुभचिंतकों से विचार-विमर्श करने के लिए चार सितंबर को जम्मू आ रहे हैं.' कांग्रेस से इस्तीफा देने के कुछ ही घंटे बाद आजाद ने शुक्रवार को कहा था कि वह जल्द ही अपना नया दल बनाएंगे और उसकी पहली इकाई जम्मू कश्मीर में बनायी जाएगी.
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गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार रात को कहा था, 'मैं अभी कोई राष्ट्रीय पार्टी बनाने की जल्दबाजी में नहीं हूं लेकिन जम्मू कश्मीर में चुनाव होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए, मैंने वहां जल्द ही एक इकाई गठित करने का फैसला किया है.'
15 दिनों के भीतर बन जाएगी नई पार्टी
जीएम सरूरी ने अपना समर्थन दिखाने के लिए कई नेताओं के साथ शुक्रवार को दिल्ली में आजाद से मुलाकात की थी. सरूरी ने कहा कि आजाद अगले एक पखवाड़े में पार्टी की शुरुआत की घोषणा कर देंगे.
उन्होंने कहा, 'हमें खुशी है कि वह जम्मू-कश्मीर लौट रहे हैं, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में (दो नवंबर, 2005 से 11 जुलाई, 2008 तक) कार्य किया. लोग उनके शासन को स्वर्णिम युग के रूप में देखते हैं और चाहते हैं कि वह जम्मू-कश्मीर को वर्तमान स्थिति से बाहर निकालने के लिए लौट आएं.'
पूरे कश्मीर में हैं गुलाम नबी आजाद के समर्थक
जीएम सरूरी ने दावा किया है कि गुलाम नबी आजाद के समर्थक पूरे जम्मू-कश्मीर में हैं. सरूरी ने कहा कि नया दल समाज के सभी वर्गों की एकता एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा और पांच अगस्त, 2019 से पहले की स्थिति बहाल किए जाने के लिए संघर्ष करेगा. केंद्र ने पांच अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था.
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कश्मीर से खत्म हो गई है कांग्रेस
जीएम सरूरी ने कहा कि आजाद के जाने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस लगभग खत्म हो चुकी है. उन्होंने कहा, 'आजाद से मिलकर समर्थन जताने के लिए (जम्मू-कश्मीर के) नेताओं की कतार लगी हुई है. हमें पीआरआई सदस्यों से सैकड़ों त्यागपत्र मिले हैं, जिनमें जिला और ब्लॉक विकास परिषद के सदस्य और कई नगर निगम पार्षद शामिल हैं.'
कई पूर्व मंत्रियों और विधायकों सहित 12 से ज्यादा नेताओं ने आजाद के समर्थन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और शनिवार को नई दिल्ली में आजाद के साथ मुलाकात के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद जैसे कई अन्य नेताओं के भी इस्तीफा देने की संभावना है.
कांग्रेस ने क्यों लगाया है बीजेपी से गठजोड़ का आरोप?
कांग्रेस ने आजाद पर त्यागपत्र देने के बाद बीजेपी के साथ 'गठजोड़' करने का आरोप लगाया है. जीएम सरूरी ने इस आरोप का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी आलोचना करने वाले वास्तविक सच्चाई से आंखें मूंद रहे हैं या उन्हें अपने पैरों के नीचे की जमीन खिसकती दिख रही है.
जीएम सरूरी ने कांग्रेस नेतृत्व पर आजाद को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाते हुए कहा, 'वह एक धर्मनिरपेक्ष नेता हैं जिन्होंने पिछले पांच दशकों में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम किया. वास्तव में, हम सभी ने अपना खून-पसीना दिया है, लेकिन आप उस पार्टी में कैसे रह सकते हैं जो आपका अपमान कर रही हो और आपको नीचा दिखा रही हो.'
क्या कैप्टन अमरिंद जैसा होगा हाल?
कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में नई पार्टी के साथ उतरे थे. जब कांग्रेस आलाकमान ने उनसे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा मांगा था तभी उन्होंने नई पार्टी के साथ आने का ऐलान किया था. उन्हें चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का साथ भी मिला था. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की सीधी लड़ाई में वह अपनी सीट तक गंवा बैठे थे. उनकी नई पार्टी एक सीट भी हासिल करने में कामयाब नही हो सकी थी. कश्मीर में चुनाव कराना अभी चुनाव आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. अगर चुनाव होते हैं तो नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी और बीजेपी की लड़ाई में आजाद की नई पार्टी कहां ठहरेगी यह भी देखने वाली होगी.
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