डीएनए हिंदी: भारत सरकार ने साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कारों का ऐलान कर दिया है. इस बार गीता प्रेस, गोरखपुर को यह पुरस्कार दिया जाना है. गीता प्रेस ने कहा है कि वह सम्मान लेने के लिए तो राजी है लेकिन वह सम्मान के साथ मिलने वाले 1 करोड़ रुपयों को स्वीकार नहीं कर सकता. इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देना, नाथूराम गोडसे को सम्मान देने जैसा है.
संस्कृति मंत्रालय की ओर से पुरस्कार का ऐलान होने के बाद गीता प्रेस के बोर्ड ने एक बैठक की है. इस बैठक के बाद गीता प्रेस की ओर से कहा गया है कि वह पुरस्कार के लिए भारत सरकार का आभार व्यक्त करता है लेकिन वह पैसों को स्वीकार नहीं कर सकता. बता दें कि गीता प्रेस लंबे समय से धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए जाना जाता है.
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पुरस्कार नहीं लेता है गीता प्रेस
गीता प्रेस का कहना है कि उसकी परंपरा रही है कि वह कभी किसी सम्मान या पुरस्कार को स्वीकार नहीं करता है. हालांकि, इस बार बोर्ड ने फैसला किया है कि परंपरा को तोड़ते हुए सम्मान को स्वीकार किया जाएगा. इसके बावजूद, इस पुरस्कार के साथ मिलने वाली एक करोड़ रुपये की सम्मान राशि को गीता प्रेस नहीं लेगा.
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गांधी शांति पुरस्कार के रूप में एक प्रशस्ति पत्र, एक कलाकृति, एक पट्टिका और एक करोड़ रुपये की सम्मान राशि जी जाती है. बोर्ड का मानना है कि उसके इस कदम से उसका सम्मान भी रह जाएगा और गीता प्रेस की परंपरा भी पूरी तरह से नहीं टूटेगी. गीता प्रेस ने इस साल अपने शतीब्दी वर्ष के मौके पर पीएम मोदी को न्योता भेजा है. रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी ने न्योता तो स्वीकार कर लिया है लेकिन अभी तक तारीख तय नहीं हुई है.
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