डीएनए हिंदी: गाय को लोग काफी अजीबो-गरीब व्यवहार करते हैं जिसके चलते लोग आलोचना का भी शिकार हो जाते हैं. जब तक गाय दूध देती है तब तक तो लोग उसका काफी ख्याल रखते हैं. उसके दूध से खूब कमाई करते हैं लेकिन जब वही गाय दूध देना बंद कर देती है तो वह उसे आवारा घूमता छोड़ देते हैं. ये पशुधन के लिहाज से भी गलत है और इससे खेतों में किसानों और शहरों की सड़को पर आम लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इस मामले में गोरखपुर नगर निगम (Gorakhpur Nagar Nigam) ने इन आवारा पशुओं को संरक्षण देने के लिए एक तरीका निकाला है. इसके जरिए कमाई भी होगी.
दरअसल, गोरखपुर नगर निगम बेसहारा और आवारा गायों भैंसों द्वारा मोटी कमाई का फॉर्मूला लेकर आया है. नगर निगम कार्यालय ने बताया है कि शहर के कान्हा उपवन में रोजाना तकरीबन 200 लीटर गोमूत्र इकट्ठा किया जाएगा. इसके लिए बाक़ायदा आईडीएस इंटरप्राइजेज से करार किया जाएगा जो कि अभी वर्मी कंपोस्ट बना रही है. इस वर्मी कंपोस्ट की बिक्री नगर-निगम संजीवनी नाम से की जा रही है. इसके बाद इसी के जरिए गोमूत्र भी बेचा जाएगा.
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रिपोर्ट्स के मुताबिक कान्हा उपवन में बेसहारा पशुओं की संख्या तकरीबन 1400 के आस-पास है. इन पशुओं को बने हुए दो बड़े शेड में रखा गया है. इन पशुओं के गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार कर इससे कमाई की जा रही है. कुछ इसी तरह अब इससे गोमूत्र को भी एक बिजनेस के तौर पर विकसित किया जाएगा.
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जानकारी के मुताबिक गोवंश की देखभाल में 28-30 लाख रुपये खर्च हो जाते हैं. ऐसे में अब इन गाय भैसों के जरिए नगर निगम का प्लान है कि पैसा भी कमाया जाए. इस प्लान के तहत ही नगर निगर पहले ही कुशीनगर के एक व्यक्ति के साथ टाई अप कर गोबर से बने वर्मी कम्पोस्ट को संजीवनी के नाम से बेच रही है.
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जैसे नगर निगम वर्मी कंपोस्ट को संजीवनू के नाम पर बेच रही है. अब इसी तरह गोमूत्र को बेचने की योजना है जो कि लोगों को प्रोत्साहित करेगा कि वे अपने गाय भैसों को आवारा न छोड़कर इस प्लान के तहत पैसा कमाएं और उनका अच्छे से संरक्षण करें.
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