जिस केस के बाद संसद में रो पड़े थे योगी आदित्यनाथ, 16 साल बाद पकड़ा गया उसका आरोपी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 18, 2023, 12:08 PM IST

Mohammad Shamim

Gorakhpur Riots Case: साल 2007 में हुए गोरखपुर दंगों से पहले हुए राजकुमार अग्रहरि हत्याकांड के आरोपी मोहम्मद शमीम को 16 साल बाद फिर से गिरफ्तार किया गया है.

डीएनए हिंदी: साल 2007 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में मोहर्रम के जुलूस के दौरान राजकुमार अग्रहरि नाम के शख्स को सरेआम मार डाला गया था. पुलिस की जीप से खींचकर सरेआम हत्या कर दिए जाने के बाद गोरखपुर में दंगे हो गए थे. इसी केस में योगी आदित्यनाथ को जेल जाना पड़ा था और बाद में वह संसद में भावुक होकर रो भी पड़े थे. अब इसी केस के मुख्य आरोपी मोहम्मद शमीम को 16 साल बाद गिरफ्तार कर लिया गया है. मोहम्मद शमीम को 2007 में राजकुमार अग्रहरि की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था. जमानत मिलने के बाद मोहम्मद शमीम फरार हो गया था.

मोहम्मद शमीम गोरखपुर के तिवारीपुर थाना क्षेत्र के निजामपुर का रहने वाला है. साल 2007 में 16 अगस्त को जमानत मिलने के बाद से वह फरार हुआ था. साल 2012 में इसी हत्या के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा हुई थी लेकिन वह फरार चल रहा था. इसी मामले में शमीम के पिता शफीउल्लाह को भी आजीवन कारावास की सजा हुई थी और वह जेल में बंद है. शमीम के खिलाफ कई बार वारंट और नोटिस जारी हुआ लेकिन वह कभी हाजिर नहीं हुआ.

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क्या था पूरा मामला?
राजेंद्र प्रसाद अग्रहरि ने 27 जनवरी 2007 को पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके बेटे राजकुमार अग्रहरि को मोहर्रम के जुलूस के दौरान मोहम्मद शमीम और उसके साथियों ने पुलिस की जीप से खींच लिया. इन लोगों ने राजकुमार को तलवार और चाकुओं से मारकर इतना घायल कर दिया कि अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि जुलूस के गुजरते समय राजकुमार आमलेट खा रहा था, इसी दौरान शमीम और उसके साथियों से उसकी बहस हुई थी. मारपीट में राजकुमार घायल हुआ तो पुलिस ने उसे अपनी जीप में बिठा लिया था.

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इसके बाद शमीम और उसके साथियों ने राजकुमार को पुलिस की जीप से खींच लिया और पीट-पीटकर चाकुओं और तलवार से घोंपकर मार डाला. इसी मामले में धरने पर बैठने और प्रदर्शन करने के चलते योगी आदित्यनाथ को 11 दिन के लिए जेल भी जाना पड़ा था. इसी का जिक्र करते हुए योगी आदित्यनाथ संसद में भावुक हो गए थे और सदन से संरक्षण मांगते हुए फूट-फूटकर रोने लगे थे.

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