डीएनए हिंदीः गुजरात में एक गांव ऐसा भी है जहां हर घर से कोई ना कोई अमेरिका (America) और कनाडा (Canada) में रहता है. लोगों में अमेरिका जाने की इतनी चाह है कि इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार हैं. अमेरिका जाने के लिए लोग अपनी जान की बाजी तक लगा देते हैं. इस गांव की हालत यह है कि कई घरों पर ताले हैं. लोग विदेश में जाकर बस चुके हैं. हम बात कर रहे हैं डींंगुचा गांव की. इसी गांव के रहने वाले जगदीश पटेल की कुछ दिनों पहले अमेरिका और कनाडा के बॉर्डर पर बर्फ में ठिठुरते हुए मौत हो गई थी.
गांधीनगर से करीब 40-50 किमी की दूरी पर स्थित डींंगुचा गांव के अधिशांक लोग अमेरिका जाकर बस चुके हैं. जिन लोगों के पास लीगल पेपर नहीं होते हैं, वो अवैध तरीक़े से अमेरिका जाने का प्रयास करते हैं. स्थानीय निवासी प्रभात देसाई ने बताया कि यह एक NRI गांव है. यहां के अधिकांश लोग विदेश में रहते हैं. करीब 3 से 4 हजार लोग अमेरिका में रहते हैं. हर घर से एक व्यक्ति विदेश में है. पूरे गांव में विदेश भेजने और वीजा दिलाने के विज्ञापन नजर आते हैं.
कई एजेंट हैं सक्रिय
गांव में कई एजेंट सक्रिय हैं. यह लोगों को विदेश भेजने के नाम पर लाखों रुपये ले लेते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां रोजगार नहीं हैं. इसलिए लोग अमेरिका और कनाडा जाना पसंद करते हैं. इस गांव के करीब 60 फीसदी लोग अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं. लोगों का कहना है कि अमेरिका के लोगों में अनुशासन होता है, इसलिए अमेरिका जाते हैं. जिसे अमेरिका का वीज़ा नहीं मिलता है तो वो कनाडा का वीज़ा लेकर जाता है और फिर वहां से बॉर्डर क्रॉस करता है.
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1970 से हुई थी शुरुआत
स्थानीय निवासी भरत भाई पटेल ने कहा कि यहां कोई भविष्य नहीं है. यहां आरक्षण है. 93 फीसदी नंबर लाने वाले लड़के को भी अच्छी जगह पर एडमिशन नहीं मिलता है. अपने बच्चों का भविष्य अच्छा बनाने के लिए अमेरिका जाना पड़ता है. मैं अपने बच्चे के भविष्य के लिए अमेरिका चला जाऊंगा. वहीं एसपी पटेल ने कहा कि मैं तीन बार अमेरिका गया. 1970 से इस गांव के लोगों ने अमेरिका जाने की शुरूआत की थी. हम लोगों की इच्छा लीगल तरीक़े से ही जाने की होती है. हमारे घर से कोई अवैध तरीक़े से नहीं जाता है.
एजेंट को रोकना पुलिस की जिम्मेदारी
डींंगुचा के पटवारी जयेश चौधरी ने कहा कि जब मैं यहां नौकरी पर आया तो मुझे पता चला कि लोग यहां से अमेरिका जा रहे हैं. यह हमारा सरकारी दफ़्तर है, यहां कोई एजेंट नहीं आ सकता है. उन्होंने कहा कि गांव में एजेंट सक्रिय होंगे तभी तो लोग जा रहे होंगे. एजेंट को पकड़ना पुलिस विभाग का काम है. उन्होंने कहा कि लोगों को वैध तरीके से ही विदेश जाना चाहिए. कई बार ऐसे लोग एजेंट के झांसे में आ जाते हैं. इससे उन्हें लाखों रुपये का नुकसान तक उठाना पड़ता है.
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