Gujarat Election: दक्षिण गुजरात में भाजपा की डगर मुश्किल! ये हैं प्रमुख वजह

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 22, 2022, 12:57 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो हफ्तों के भीतर वलसाड जिले में दो रैलियां की

Gujarat Election: आदिवासी बहुल इलाकों को अब भी भाजपा की कमजोर कड़ी माना जाता है जबकि दक्षिण गुजरात में शहरी मतदाता 2017 में पार्टी के साथ खड़े रहे थे.

डीएनए हिंदी: दक्षिण गुजरात क्षेत्र में आम आदमी पार्टी की चुनौती और विभिन्न सरकारी परियोजनाओं के खिलाफ स्थानीय आदिवासियों के प्रदर्शन के कारण सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में परेशानी खड़ी हो सकती है. गुजरात में पहले चरण के तहत जिन 89 सीटों पर एक दिसंबर को चुनाव होना है उनमें से 35 सीटें दक्षिणी जिलों भरूच, नर्मदा, तापी, डांग, सूरत, वलसाड और नवसारी में फैली हैं.

भाजपा ने 2017 में इन 35 सीटों में से 25 पर जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस और भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने क्रमश: आठ और दो सीटें जीती थी. लेकिन क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 14 सीटों में से भाजपा केवल पांच पर ही जीत दर्ज कर पाई. इसके बाद हुए उपचुनावों में उसने कांग्रेस से दो और सीटें डांग तथा कपराडा छीन ली थी.

पढ़ें- जेनाभाई ठक्कर का बेटा कैसे बना मोहम्मद अली जिन्ना? गुजरात से है बंटवारे के विलेन का कनेक्शन

आदिवासी बहुल इलाकों को अब भी भाजपा की कमजोर कड़ी माना जाता है जबकि दक्षिण गुजरात में शहरी मतदाता 2017 में पार्टी के साथ खड़े रहे थे. 2015 में सूरत हार्दिक पटेल की अगुवाई में पाटीदार कोटा आंदोलन का केंद्र था और वहां व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी.

सूरत में कपड़ा व्यापारी भी वस्तु एवं सेवा कर लगाने के खिलाफ थे लेकिन इन सबके बावजूद भाजपा ने सूरत जिले में 16 विधानसभा सीटों में से 15 पर कब्जा जमाया था जिनमें पाटीदार बहुल वराछा, कामरेज और कतारगाम सीटें शामिल हैं। वह केवल आदिवासी बहुल मांडवी (अनुसूचित जनजाति) पर जीत दर्ज नहीं कर पायी थी.

पढ़ें- Gujarat Election में बीजेपी और कांग्रेस का गेम खराब करेंगी छोटी पार्टियां? निर्दलीय भी हैं खतरा!

अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली AAP के आक्रामक प्रचार अभियान तथा पिछले साल के सूरत नगर निकाय चुनाव में उसके शानदार प्रदर्शन के कारण इस बार मुकाबला फिर से दिलचस्प हो गया है. AAP ने सूरत नगर निगम चुनाव में 27 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया था.

कांग्रेस ने वराछा सीट से कभी हार्दिक पटेल के करीब रहे पाटीदार नेता अल्पेश कथीरिया को प्रत्याशी बनाया है. पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के एक अन्य नेता धार्मिक मालवीय ओल्पाड से AAP के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. AAP की गुजरात इकाई के अध्यक्ष गोपाल इटालिया कतारगाम से चुनाव लड़ रहे हैं. AAP के प्रदेश उपाध्यक्ष भेमाभाई चौधरी को विश्वास है कि पाटीदार समुदाय के समर्थन से काफी फर्क पड़ेगा.

पढ़ें- 2024 में बीजेपी की ओर से कौन होगा पीएम कैंडिडेट, हिमंत बिस्वा सरमा ने दे दिया जवाब

आदिवासियों के लिए आरक्षित 14 सीटों में से भाजपा के पास सात डांग, कपराडा, उमरगाम, धरमपुर, गांडवी, महुवा और मंगरोल सीटें हैं. कांग्रेस के युवा आदिवासी चेहरे विधायक अनंत पटेल राजमार्ग परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ नवसारी और वलसाड जिलों में प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे हैं.

कांग्रेस ने दावा किया कि आदिवासी मतदाता कभी भाजपा पर यकीन नहीं करेंगे. दक्षिण गुजरात से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तुषार चौधरी ने कहा, "मुझे विश्वास है कि कांग्रेस आदिवासी इलाकों में सीटें जीतेगी क्योंकि स्थानीय लोगों ने हमेशा हम पर विश्वास जताया है. भाजपा निश्चित तौर पर हार रही है और इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो हफ्तों के भीतर वलसाड जिले में दो रैलियां की."

पढ़ें- गुजरात चुनाव: राहुल बाबा 'खरपतवार', केजरीवाल हैं 'बबूल', जानिए MP के CM शिवराज ने क्यों ऐसा कहा

वहीं, भाजपा के मुकेश पटेल ने दावा किया कि आदिवासी लोगों के बीच उनकी पार्टी के खिलाफ कोई आक्रोश नहीं है. ओल्पाड से मौजूदा विधायक और मंत्री पटेल ने कहा, "मुझे विश्वास है कि भाजपा सूरत, तापी, डांग, नवसारी और वलसाड जिलों में सभी 28 सीटें जीतेगी. आदिवासियों के बीच कोई आक्रोश नहीं है बल्कि स्थानीय लोग जानते हैं कि भाजपा सरकार ने ही उनकी मांग पर पेसा (अनुसूचित इलाकों तक पंचायतों के विस्तार) अधिनियम को लागू करने का फैसला किया."

(भाषा)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर. 

gujarat election 2022 gujarat election