गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर पैरोल मिल गई है. पिछले 4 साल में यह 11वीं बार है जब बलात्कार में सजा काट रहे पूर्व डेरा प्रमुख को जेल से बाहर आने का मौका मिला है. रेप और हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) को एक बार फिर पैरोल मिल गई है. डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को बार-बार जेल से मिलने वाली पैरोल और फर्लो पर सियासी घमासान भी मचता रहा है. एक बार फिर हरियाणा चुनाव (Haryana Elections 2024) से पहले मिलने वाली पैरोल पर राजनीति गर्मा गई है.
चुनाव को प्रभावित करने का लग रहा आरोप?
हरियाणा में डेरा सच्चा सौदा की कुछ साल पहले तक काफी दखल मानी जाती थी. गुरमीत राम रहीम के समर्थकों की संख्या को देखते हुए सियासी दल भी उनसे बनाकर चलने की कोशिश करते थे. एक बार फिर वोटिंग से पहले पैरोल मिलने पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे दलों ने इसे राजनीति से प्रेरित फैसला बताया है. हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि पैरोल अवधि के दौरान राम रहीम किसी भी तरह से राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकता है.
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पैरोल के लिए कोर्ट ने तय की है कठोर शर्तें
राम रहीम को कोर्ट ने सख्त शर्तों पर पैरोल दी है. पैरोल की अवधि में राम रहीम के हरियाणा में प्रवेश पर रोक है. सोशल मीडिया के जरिए भी वह किसी तरह की राजनीतिक पोस्ट नहीं कर सकता है. इसके अलावा, किसी भी तरह की चुनावी गतिविधियों में शामिल होने पर भी रोक लगाई गई है. बता दें कि 21 दिन की फर्लो पर बाहर रहने के बाद 2 सितंबर को ही उसने जेल में सरेंडर किया था और अब उसे एक बार फिर पैरोल मिल गई है.
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