डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में चल रहा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का सर्वे रुक गया है. सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद परिसर में एएसआई के सर्वे पर रोक लगा दी है. वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने सोमवार को बताया कि उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण की कार्रवाई को 26 जुलाई शाम तक के लिए रोकने का निर्देश दिया है, जिसको देखते हुए सर्वेक्षण को रोक दिया गया है. बता दें कि मस्जिद परिसर में ASI की टीम ने करीब चार घंटे के तक सर्वे किया.
1- ASI की टीम को सर्वे में क्या मिला?
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज के सर्वे की कार्रवाई के आदेश पर रोक लगाई है. हम दो दिन के अंदर उच्च न्यायालय जाकर इस पर बहस करेंगे. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि सर्वे के दौरान मस्जिद परिसर में तोड़ फोड़ की जा रही है, जबकि परिसर में सर्वे के दौरान सिर्फ पैमाइश और मैपिंग का कार्य किया गया. सर्वे की कार्रवाई से बाहर निकलने के बाद हिंदू के एक अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया, 'सर्वेक्षण की कार्रवाई लगभग 4 घंटे चली. पहले पूरे परिसर का मुआयना और पैमाइश की गई चार टीमों को चारों कोने पर लगाया गया था. सर्वे के दौरान 4 कैमरे परिसर के चारों कोने पर लगाकर सारी गतिविधियों को रिकॉर्ड किया गया. परिसर में लगे पत्थर और ईंटों का मुआयना किया गया.'
2- SC ने 5 जुलाई तक सर्वे पर लगाई रोक
चतुर्वेदी ने दावा किया, 'हमें यकीन है कि पूरा परिसर मंदिर का ही है और सर्वे का परिणाम हमारे पक्ष में ही आएगा. इसके पहले हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की एक अदालत के आदेशानुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 30 सदस्यीय टीम ने सोमवार सुबह 7 बजे वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए ज्ञानवापी परिसर में प्रवेश किया, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित यह मस्जिद किसी मंदिर के ऊपर तो नहीं बनाई गई है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट का निर्देश आ गया कि मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के संबंध में वाराणसी की अदालत का आदेश 26 जुलाई को शाम 5 बजे तक लागू नहीं किया जाएगा. शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा कि वह उसके आदेश की समाप्ति से पहले मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करे.
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3- ASI की टीम 4 घंटे मस्जिद परिसर में रही मौजूद
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मस्जिद समिति की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी की दलील का संज्ञान लिया कि मामले में तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए. इस पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे. यह आदेश आने के बाद ASI टीम ने अपनी कार्रवाई रोक दी. करीब चार घंटे तक एएसआई की सर्वेक्षण टीम परिसर के अंदर रही और शीर्ष अदालत का आदेश मिलने के बाद टीम के सदस्य परिसर से बाहर निकल आए. सावन के तीसरे सोमवार को दर्शनार्थियों और कांवड़ियों की भारी भीड़ के बीच एएसआई की टीम काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के लिए सुबह गई और 4 घंटे से अधिक समय तक परिसर में मौजूद रही.
4- वाराणसी कोर्ट ने दिया था सर्वे का आदेश
काशी विश्वनाथ मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी पीयूष तिवारी ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण से दर्शनार्थियों और कावड़ियों को किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा. उन्होंने कहा कि 'सावन के सभी सोमवार की तरह बाबा के भक्त लाइन लगाकर दर्शन पूजन करते रहे. सुबह 8:30 बजे तक करीब पौने दो लाख शिव भक्तों ने दर्शन पूजन कर लिया था.' जिला प्रशासन के आदेश के अनुसार, मंदिर प्रशासन के सर्वेक्षण के काम में किसी भी तरह से कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया. वाराणसी में जनपद न्यायाधीश एके विश्वेश की अदालत ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी थी.
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5- हिंदू पक्ष ने मस्जिद के फव्वारे को बताया था ‘शिवलिंग’
बता दें कि मामले में हिंदू पक्ष द्वारा दायर याचिका में एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने स्थानीय अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें मस्जिद परिसर के अंदर स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर नियमित पूजा के अधिकार की मांग की गई थी. अप्रैल 2022 में दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया था. मुस्लिम पक्ष के विरोध के बीच सर्वेक्षण अंततः मई 2022 में पूरा हुआ था. इसी दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर के अंदर वजू के लिए बने तालाब में ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया था, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था. (भाषा इनपुट के साथ)
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