डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े एक विवाद में हिंदू पक्ष के मुख्य पक्षकार जितेंद्र सिंह विसेन ने सभी मुकदमों से पीछे हटने का ऐलान किया है. जितेंद्र सिंह के मुताबिक, उनको परेशान किया जा रहा है और अब वह इस केस को और नहीं लड़ सकते. यह मामला शृंगार गौरी केस से जुड़ा हुआ है. इसी मामले में वकील रहे शिवम गौड़ भी केस से अपना नाम वापस ले चुके हैं. जितेंद्र सिंह का कहना है कि उन्हें हिंदू पक्ष के लोग भी परेशान कर रहे हैं और अब वह 'धर्म युद्ध' को जारी नहीं रख सकते.
जितेद्र सिंह ने कहा है, 'मैं और मेरा परिवार (पत्नी किरन सिंह और भतीजी राखी सिंह) इस केस से खुद को पूरी तरह से अलग कर रहा है. हमने देश की अलग-अलग अदालतों में देश और धर्म के लिए मुकदमा दायर किया था. हमें अपमानित किया जा रहा है. ऐसे स्थिति में मैं अपने सीमित साधनों और क्षमता के बल पर इस धर्म युद्ध को जारी नहीं रख सकता इसलिए मैं इससे अलग हो रहा हूं. यह समाज सिर्फ उनका साथ देता है जो नौटंकी करते हैं और धर्म के नाम पर लोगों को धोखा देते हैं.'
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वकील ने भी वापस लिया अपना नाम
इससे पहले, जितेंद्र सिंह के वकील शिवम गौड़ ने भी यह केस छोड़ दिया था. उन्होंने कहा था कि वह 2021 से ज्ञानवापी केस और कृष्ण जन्मभूमि केस की वकालत कर रहे थे और 2022 के मई महीने से उन्होंने इस केस के लिए कोई फीस भी नहीं ली थी. शिवम गौड़ ने वादियों से संवादहीनता का हवाला देते हुए इस केस से अपना नाम वापस ले लिया था.
बता दें कि शृंगार गौरी केस पांच महिलाओं ने दायर किया था. इसमें जितेंद्र सिंह की बहन राखी सिंह मुख्य याचिकाकर्ता हैं जिन्होंने अगस्त 2021 में याचिका दायर करके मांग की थी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद शृंगार गौरी देवी की दैनिक पूजा की अनुमति दी थी. हालांकि, जब अन्य महिलाओं और उनके वकीलों से मतभेद हुए तो राखी सिंह इससे अलग हो गईं. इन वकीलों में हरि शंकर जैन और विष्णु जैन भी थे जो कि ज्ञानवापी केस के मुख्य वकील हैं.
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गौरतलब है कि जितेंद्र सिंह विसेन ने हिंद साम्राज्य पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और राष्ट्रीय महासचिव पद से भी इस्तीफा दे दिया था. यह पार्टी विष्णु जैन और हरि शंकर जैन की ओर से संचालित की जाती है. बता दें कि जितेंद्र सिंह विसेन ज्ञानवापी केस, मथुरा ईदगाह केस और ताज महल विवाद जैसे मामलों से जुड़े रहे हैं.
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