डीएनए हिंदी: इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वेक्षण पर लगी रोक को गुरुवार तक के लिए बढ़ा दिया है. अदालत इस मामले में 27 जुलाई को दोपहर 3.30 बजे सुनवाई करेगी. इस मामले में दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर ने मामले में आगे की सुनवाई को जारी रखने का आदेश दिया. अदालत के आदेश के अनुपालन में एएसआई के वाराणसी केंद्र के अपर निदेशक आलोक त्रिपाठी अदालत में मौजूद थे. उन्होंने बताया कि एएसआई की टीम किसी भी तरह से ढांचे को क्षतिग्रस्त नहीं करने वाली है.
बता दें कि इलाहाबाद हाईखोर्ट ASI सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. आज की सुनवाई के दौरान मुस्लिम और हिंदू पक्ष दोनों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं. मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद पिछले 1000 साल से वहां पर मौजूद है. 1669 के बाद किसी भी बादशाह के आदेश पर यहां कोई मंदिर नहीं तोड़ा गया. इस सर्वे से मस्जिद परिसर के हिस्से को नुकसान हो सकता है. इस पर चीफ जस्टिस दिवाकर ने कहा कि फिर आप अदालत के फैसले पर कैसे भरोसा करेंगे? जब एएसआई आश्वासन दे रही है कि उसे सर्वेक्षण से संरचना को कोई नुकसान नहीं होगा.
हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश हुए वकील एसएफए नकवी ने दलील दी कि हिंदू पक्ष की अर्जी में पहली ही कहा गया है कि मस्जिद परिसर के तीन गुंबदों के नीचे खुदाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि हम पिछले अनुभवों की वजह से सर्वेक्षण पर हिंदू पर भरोसा नहीं कर सकते हैं. इस पर सीजे ने उनसे पूछा कि तब आप अदालत के फैसले पर कैसे भरोसा कर सकते हैं? क्योंकि वाराणसी कोर्ट ने हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन से वीडियोग्राफी कराने या पुष्टि कर बयान देने को कहा कि मस्जिद के ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.
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हिंदू पक्ष ने क्या दिया जवाब?
चीफ जस्टिस ने जब हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन से पूछा कि क्या वाराणसी कोर्ट का सील किए गए क्षेत्र से कोई लेना-देना है? इस पर उन्होंने कहा कि सील किए गए वजूखाने में कोई भी सर्वे का काम नहीं किया जाएगा. विष्णु जैन ने कहा कि राम मंदिर मामले में एएसआई द्वारा एक सर्वेक्षण किया गया था और इसे उच्च न्यायालय के साथ-साथ उच्चतम न्यायालय ने भी स्वीकार किया था. मस्जिद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित है और जिला अदालत में हिंदू वादियों ने यह निर्धारित करने के लिए सर्वेक्षण की मांग की थी कि क्या उसी स्थान पर पहले कोई मंदिर मौजूद था.
इस पर नकवी ने कहा कि राम जन्मभूमि के मामले में फैसले की परिस्थितियां अलग थी. उसका उदाहरण ज्ञानवापी के मामले में नहीं दिया जा सकता है. जिस ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे मंदिर होने की बात की जा रही है, वह मनगढ़ंत कहानी है. मस्जिद के फव्वारे को शिवलिंग बताया जा रहा है.
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सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई तक लगाई थी सर्वे पर रोक
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला अदालत के उस आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यह तय करने के लिए सर्वे करने का निर्देश दिया गया था कि क्या वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद एक मंदिर पर बनाई गई थी. मंगलवार को मामले में दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने इसे बुधवार को आगे सुनवाई के लिए तारीख दी थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा एएसआई सर्वेक्षण को बुधवार शाम 5 बजे तक रोकने के एक दिन बाद मंगलवार को मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद ने हाई कोर्ट का रुख किया था.
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