Haldwani में हजारों परिवार होंगे बेघर या सबसे बड़ी अदालत देगी राहत, सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jan 04, 2023, 11:43 PM IST

Haldwani Protest

Haldwani Demolition Update: गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि हलद्वानी के हजारों लोग बेघर हो जाएंगे या यह मामला और आगे खिंचेगा.

डीएनए हिंदी: उत्तराखंड के हलद्वानी जिले का बनभूलपुरा (Banbhoolpura) इन दिनों पूरे देश में चर्चा का केंद्र है. यहां रेलवे की जमीन पर बस चुकी पूरी कॉलोनी को उजाड़ने की तैयारी हो रही है. अपने घर, स्कूल और मंदिर-मस्जिद गंवाने के डर से लोग धरना-प्रदर्शन पर उतर आए हैं. एक अनुमान के मुताबिक, बनभूलपुरा इलाके में 4 हजार से ज्यादा परिवार हैं. लगभग 50 हजार लोगों की आबादी बेघर होने की कगार पर है. अब इन लोगों को आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से है. सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया था कि रेलवे की जमीन से अतिक्रमण को हटाया जाए. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई करेगा. धरने पर बैठे लोगों को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिलेगी.

नैनीताल हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यह जमीन रेलवे की है. इसलिए रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाया जाएगा. आदेश के मुताबिक, 4000 से ज्यादा घरों, कई स्कूलों और मंदिरों-मस्जिदों को तोड़ा जाना है. इतनी बड़ी आबादी प्रभावित हो रही है इसलिए मामला गरम हो गया है. लोग हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. बुधवार शाम को भी यहां कैंड मार्च निकाला गया.

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सलमान खुर्शीद रखेंगे आम लोगों का पक्ष
सुप्रीम कोर्ट में आम लोगों का पक्ष कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद रखेंगे. इस इलाके में 8 से 10 मंदिर, कई मस्जिद और दो सरकारी इंटर कॉलेजों के साथ-साथ दर्जनों प्राइवेट स्कूल मौजूद हैं. विरोध करने वाले लोग पूछ रहे हैं कि कई दशकों में यहां लोग बसे तब रेलवे और बाकी संस्थाएं कहां थीं. बनभूलपुरा में इंदिरा नगर और गफूर बस्ती का इलाका आता है और यहां लगभग 50 हजार लोग रहते हैं. हाई कोर्ट ने एक हफ्ते के अंदर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है.

क्या है हल्द्वानी का झगड़ा?
रेलवे का कहना है कि 29 एकड़ की जिस जमीन पर लोगों ने अपने पक्के घर बना लिए हैं वह उसकी है. हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक, रेलवे ने 9 जनवरी तक का टाइम देते हुए कहा है कि लोग अपना कब्जा हटा लें. 9 जनवरी तक कब्जा न हटाने वाले लोगों के घरों को तोड़ दिया जाएगा. यह मामला 2013 से कोर्ट में चल रहा है.

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स्थानीय लोगों का कहना है कि वे जिस जमीन पर रह रहे हैं वह नजूल की जमीन है. नजूल की जमीन वह होती है जिसकी सिंचाई नहीं होती, उस पर खेती नहीं होती और वह बेकार हो जाती है. कई राज्यों में बंजर या खाली पड़ी जगहों पर भी इस तरह की बसावट होती है. हालांकि, हाई कोर्ट ने लोगों की यह दलील खारिज कर दी कि वे पट्टे के आधार पर नजूल की जमीन पर रह रहे हैं. अब अगर सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाता तो 10 जनवरी से यहां अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी.

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