Haryana Election Results 2024: गुटबाजी या जमीन पर कमजोर संगठन, कैसे हार गई कांग्रेस हरियाणा में जीती हुई बाजी?

स्मिता मुग्धा | Updated:Oct 08, 2024, 12:45 PM IST

गुटबाजी की वजह से डूबी कांग्रेस की नैया?

Congress Lost Haryana: हरियाणा चुनाव के नतीजे एक्जिट पोल के अनुमानों से उलट आते दिख रहे हैं. कांग्रेस की तय लग रही जीत के उलट बीजेपी सत्ता की हैट्रिक बनाने जा रही है. 

हरियाणा चुनाव के नतीजे (Haryana Election Results 2024) अब तक चौंकाने वाले लग रहे हैं. एक्जिट पोल में जहां कांग्रेस को 50 से ज्यादा सीटें मिलती दिख रही थीं, वहीं अब तक के नतीजे इसके उलट दिख रहे हैं. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी के बाद भी बीजेपी (BJP) तीसरी बार सत्ता में वापसी करती दिख रही है. कांग्रेस के मजबूती से चुनाव लड़ने के बावजूद भी हारने की वजहों के विश्लेषण का दौर जारी है. प्रदेश नेतृत्व में जारी खेमेबाजी का असर पार्टी को भुगतना पड़ रहा है. जानें वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.

कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी 
हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हारती दिख रही है. 


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एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब 
पार्टी के अंदर चल रही खींचतान ने कांग्रेस को चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी की गलतियों को उछालने का मौका नहीं दिया. कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी,  मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. एंटी इनकंबेंसी के मुद्दे को कांग्रेस नेतृत्व अगर जोर-शोर से उभारता तो नतीजे बदल सकते थे. पार्टी का ज्यादा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका फायदा बीजेपी को मिलता दिख रहा है. 

इसके अलावा, अगर आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन होता और टिकट बंटवारे में गुटबाजी को अलग रखकर विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही अब तक किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है. 

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