Court Orders in Hindi: अब सिर्फ न्याय मिलेगा ही नहीं समझ भी आएगा, इस राज्य ने हिंदी में कोर्ट के आदेश को दी मंजूरी 

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 14, 2022, 08:34 AM IST

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजे का आदेश दिया है.

Court Orders in Hindi: हरियाणा में अप्रैल के अदालत के आदेशों की कॉपी लोगों को हिंदी में भी दी जाएगी. 

डीएनए हिंदीः कोर्ट की कार्रवाही अमूमन लोगों की समझ में नहीं आती है. अंग्रेजी में कोर्ट के आदेश होने के कारण आम आदमी उसे समझ नहीं पाता है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसकी ओर इशारा किया था. वह हरियाणा सरकार ने पहल करते हुए लोगों को उनकी भाषा में न्याय देने की पहल शुरू की है. हरियाणा में लोगों को हिंदी में भी कोर्ट के आदेशों की कॉपी दी जाएगी. निचली अदालतों में यह व्यवस्था अगले साल अप्रैल से शुरू हो जाएगी. 

सरकार ने जारी किया आदेश
हरियाणा सरकार ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. हरियाणा सरकार के पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधीनस्थ न्यायालयों एवं न्यायाधिकरणों में हिन्दी भाषा के प्रयोग पर हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 में संशोधन करने के प्रस्ताव के बाद राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने हरियाणा सूचना, जनसंपर्क और भाषा विभाग से जारी अधिसूचना को मंजूरी दे दी. यह प्रस्ताव एक अप्रैल 2023 से लागू होगा. सरकार से जारी बयान में कहा गया है कि राज्य की सरकार ने जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है. लोग दैनिक जीवन में हिन्दी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करें और इसके लिए हिन्दी भाषा का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार जरूरी है. इसके लिए हरियाणा कैबिनेट ने जनवरी में एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दी थी.

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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिया था सुझाव
2017 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बात पर जोर दिया था कि देश के सभी हाईकोर्ट को उसी भाषा में फैसले देने चाहिए जो मुद्दई को समझ में आ सके. इसके मद्देनजर उन्होंने फैसलों की प्रमाणित प्रतिलिपियां जारी करने की व्यवस्था कायम करने का भी सुझाव दिया. केरल हाईकोर्ट की 75वीं वर्षगांठ के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने मुकदमों के त्वरित निपटारे की वकालत करते हुए कहा कि देर से मिले न्याय का सबसे ज्यादा खामियाजा गरीबों और शोषितों को भुगतना पड़ता है. राष्ट्रपति ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले अंग्रेजी में लिखे जाते हैं, लेकिन इस देश में कई भाषाएं बोली जाती हैं. जरूरी नहीं है कि हर वादी अंग्रेजी जानता हो. ऐसे में वह फैसले की बारीकियों से वाकिफ नहीं हो पाएगा और फैसले को समझने के लिए वह पूरी तरह से वकील या किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर रहेगा. इससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी होती है.

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