'हेट स्पीच अस्वीकार्य, समुदायों के बीच सद्भाव और भाईचारा जरूरी', नूंह हिंसा पर SC की सख्त टिप्पणी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 11, 2023, 10:07 PM IST

Supreme Court 

Hate Speech Case: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नफरती भाषण की समस्या अच्छी नहीं है और कोई भी इसे स्वीकार नहीं कर सकता. इसे रोकने के लिए DGP एक कमेटी घटित करें.

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हेट स्पीच के मामले में सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि समुदायों के बीच सौहार्द और भाईचारा बरकरार रखना आवश्यक है. उच्चतम न्यायालय हरियाणा के नूंह समेत अन्य राज्यों में एक विशेष समुदाय के लोगों की हत्या और उनके सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार का आह्वान संबंधित कतिथ घोर नफरत भरे भाषणों को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा था. हरियाणा में हुई इस हिंसा में 6 लोगों की मौत हो गई थी. 

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवी एन भट्टी की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से निर्देश लेने और 18 अगस्त तक समिति के बारे में सूचित करने को कहा. पीठ ने कहा, ‘समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए. सभी समुदाय जिम्मेदार हैं. नफरती भाषण की समस्या अच्छी नहीं है और कोई भी इसे स्वीकार नहीं कर सकता.’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम डीजीपी से उनके द्वारा नामित तीन या चार अधिकारियों की एक समिति गठित करने के लिए कह सकते हैं, जो एसएचओ से सभी जानकारियां प्राप्त करेगी. उनका अवलोकन करेगी और अगर जानकारी प्रामाणिक है, तो संबंधित पुलिस अधिकारी को उचित निर्देश जारी करेगी. एसएचओ और पुलिस स्तर पर पुलिस को संवेदनशील बनाने की जरूरत है.’ 

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शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को वीडियो सहित सभी सामग्री एकत्र करने और उसके 21 अक्टूबर 2022 के फैसले के अनुसरण में नियुक्त नोडल अधिकारियों को सौंपने का भी निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नटराज ने कहा कि भारत सरकार भी नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ है, जिसकी पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए. उन्होंने स्वीकार किया कि नफरत फैलाने वाले भाषणों से निपटने का तंत्र कुछ जगहों पर काम नहीं कर रहा है. पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला द्वारा दाखिल अर्जी में उच्चतम न्यायालय के 2 अगस्त के उस आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया था, “हम उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकारें और पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई नफरत भरा भाषण न दिया जाए और कोई हिंसा न हो या संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जाए.’ 

नफरती भाषणों से बचने की जरूरत-SC
पत्रकार शहीन अब्दुल्ला की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि लोगों को नफरत भरे भाषणों से बचाने की जरूरत है और इस तरह का जहर परोसे जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.’ जब पीठ ने सिब्बल से एक समिति गठित करने के विचार के बारे में पूछा, तो वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘मेरी दिक्कत यह है कि जब कोई दुकानदारों को अगले 2 दिन में मुसलमानों को बाहर निकालने की धमकी देता है, तो यह समिति मदद नहीं करने वाली है.’ सिब्बल ने कहा कि पुलिस कहती रहती है कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है, लेकिन अपराधियों को कभी गिरफ्तार नहीं किया जाता या उन पर मुकदमा नहीं चलाया जाता.

सुप्रीम कोर्ट में 18 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
सिब्बल ने कहा, ‘समस्या FIR दर्ज करने की नहीं है, समस्या यह है कि क्या प्रगति हुई? वे किसी को गिरफ्तार नहीं करते न ही किसी पर मुकदमा चलाते हैं. एफआई दर्ज होने के बाद कुछ नहीं होता.’ इस मामले में अब अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नफरत भरे भाषणों से माहौल खराब होता है और जहां भी आवश्यक हो, पर्याप्त पुलिस बल या अर्धसैनिक बल को तैनात किया जाना चाहिए और सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे के जरिए वीडियो रिकॉर्डिंग सुनिश्चित की जाए. अर्जी में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद, हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक झड़पों के बाद विभिन्न राज्यों में 27 से अधिक रैलियां आयोजित की गईं और नफरत भरे भाषण दिए गए.

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इसमें कहा गया, 'उपरोक्त आदेश के बावजूद, विभिन्न राज्यों में 27 से अधिक रैलियां आयोजित की गई हैं, जहां एक समुदाय विशेष के लोगों की हत्या और सामाजिक एवं आर्थिक बहिष्कार का आह्वान करने वाले नफरत भरे भाषण खुलेआम दिए गए हैं.’ याचिकाकर्ता ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त और उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पुलिस महानिदेशक और अन्य अधिकारियों को पर्याप्त कार्रवाई करने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने का अनुरोध किया है कि ऐसी रैलियों के आयोजन की अनुमति न दी जाए. 

SC के निर्देश के बावजूद दिए गए नफरती भाषण
पत्रकार अब्दुल्ला की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने अदालत से कहा था कि दक्षिणपंथी संगठनों-विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के विभिन्न हिस्सों में 23 प्रदर्शनों की घोषणा की गई थी, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने 2 अगस्त को एक आदेश पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई जाए और नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. भीड़ द्वारा 31 जुलाई को वीएचपी की जलाभिषेक यात्रा को रोकने की कोशिश के बाद नूंह में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में 2 होमगार्ड सहित छह लोगों की मौत हो गई थी. (इनपुट- भाषा)

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