डीएनए हिंदी: Uttar Pradesh News- उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 3 साल पहले 19 साल की दलित युवती के साथ गैंगरेप और हत्या के मामले (Hathras Gangrape Case) में फैसला आ गया है. कोर्ट ने मुख्य आरोपी संदीप सिंह को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा दी है, जबकि बाकी तीन आरोपियों को लवकुश, रवि, राम कुमार को कोर्ट ने बरी कर दिया है. पीड़िता के परिवार ने इस सजा को मामले की जघन्यता के हिसाब से कम मानते हुए हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है.
मुख्य आरोपी को माना इसके लिए दोषी
कोर्ट ने मुख्य आरोपी संदीप सिंह को इस मामले में IPC की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का दोषी माना है. साथ ही उस पर SC/ST एक्ट के उल्लंघन का भी दोष साबित हुआ है. इसी कारण उसे उम्रकैद की सजा सुनाने के साथ ही कोर्ट ने 50,000 रुपये जुर्माना भी लगाया है.
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गैंगरेप के बाद दिल्ली में तड़प-तड़पकर हुई थी युवती की मौत
हाथरस के बूलगढ़ी गांव में गैंगरेप की यह घटना 14 सितंबर, 2020 को अंजाम दी गई थी. गैंगरेप करने के दौरान आरोपियों ने युवती के साथ बुरी तरह मारपीट भी की थी. इसके चलते वह गंभीर घायल हो गई थी. इस मामले को तमाम विपक्षी दलों के मुद्दा बना लेने पर युवती को इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था, जहां अपने जख्मों से जूझते हुए उसकी 29 सितंबर 2020 को तड़प-तड़पकर मौत हो गई थी.
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प्रशासन ने जबरन रात में ही करा दिया था अंतिम संस्कार
युवती की मौत के बाद इस मुद्दे के और ज्यादा गर्माने के डर से हाथरस जिला प्रशासन ने युवती का अंतिम संस्कार 29 सितंबर को ही देर रात करा दिया था. अंतिम संस्कार जबरन कराने का युवती के परिजनों ने बेहद विरोध भी किया था, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई थी.
यूपी पुलिस पर लगे थे आरोपियों को बचाने के आरोप
बाद में अंतिम संस्कार जबरन कराने का मामला भी राजनीतिक मुद्दा बन गया था. इसे लेकर प्रदेश के विपक्षी नेताओं के साथ ही पूरे देश से राजनीतिक दलों ने सत्ताधारी भाजपा को अपने निशाने पर लिया था. यूपी पुलिस पर आरोपियों को बचाने के आरोप लगे थे. यूपी पुलिस ने कई दिन तक पीड़िता के परिजनों से किसी भी बाहरी व्यक्ति को नहीं मिलने दिया था. बाद में इस मामले में संदीप ठाकुर, लव कुश, रामू, रवि को गिरफ्तार किया गया. चारों पर हत्या, रेप और एससी एसीटी एक्ट की धारा में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया.
सीबीआई को सौंपी गई थी जांच
विपक्षी दलों की तरफ से बार-बार यूपी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए जाने के बाद जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. सीबीआई ने तेजी से जांच करते हुए 29 दिसंबर 2020 को चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी थी. करीब 2000 पन्नों की चार्जशीट में सीबीआई ने भी आरोपियों पर हत्या, गैंगरेप, एससी-एसटी एक्ट के तहत आरोप लगाए थे. इस मामले में 104 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे.
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