हाथरस हादसे में आयोजकों की लापरवाही के रोज नए सबूत मिल रहे हैं. सत्संग के लिए 80 हजार लोगों के आने की अनुमति थी, जबकि टेंट की क्षमता सिर्फ 60 हजार लोगों के लिए ही थी. इसके बावजूद 2.5 लाख लोग पहुंच गए थे. इसी भगदड़ (Hathras stampede) में 122 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे और इमर्जेंसी हालात के लिए भी जरूरी फर्स्ट ऐड मौजूद नहीं था.
मुख्य आरोपी के बारे में भी कई जानकारी सामने आई
हाथरस कांड में अब तक हुई जांच में मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर को लेकर भी कई खुलासे हुए हैं. फरारी के दौरान वह लगातार सेवादारों के संपर्क में था और उस तक पुलिस के हर कदम की जानकारी पहुंच रही थी. मधुकर के वकील एपी. सिंह का दावा है कि उन्हें दिल की बीमारी है और इसलिए वह फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं. सूत्रों का कहना है कि सरेंडर करने से पहले उन्होंने कई शहर बदले थे. हाथरस से वह अपने रिश्तेदारों के पास वेस्टर्न यूपी गए और फिर वहां से दिल्ली पहुंचे थे.
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आयोजकों की लापरवाही का कच्चा चिट्ठा खुला
अब तक की जांच में आयोजकों की घोर लापरवाही के साक्ष्य मिले हैं. सूत्रों के मुताबिक, बिना पर्याप्त इंतजाम के सत्संग में लोगों की भारी भीड़ जुटने दी गई. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेड, रस्सी और दूसरे सुरक्षा इंतजाम नहीं थे. इसके अलावा, दुर्घटना के बाद आयोजकों में शामिल ज्यदातर लोग जरूरी कदम उठाने के बजाय वहां से भाग गए थे. पुलिस ने इस मामले में अब तक 7 लोगों को अरेस्ट किया है.
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