Hemant Soren की कुर्सी रहेगी या जाएगी? राज्यपाल आज ले सकते हैं बड़ा फैसला

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 26, 2022, 09:27 AM IST

हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है.

Hemant Soren Disqualification: चुनाव आयोग की रिपोर्ट के बाद झारखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी पर संकट के बादल साफ नजर आ रहे हैं.  

डीएनए हिंदीः झारखंड की सियासत के लिए आज दिन काफी बड़ा है. हेमंत सोरेन (Hemant Soren) मुख्यमंत्री बने रहेंगे या उनकी विधानसभा सदस्यता चली जाएगी, इसे लेकर आ फैसला हो सकता है. बंद लिफाफे में चुनाव आयोग ने जो राय भेजी है उस पर राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) आज कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं. राजभवन के फैसले पर सभी की निगाहे हैं. माना जा रहा है कि राज्यपाल आज आयोग की रिपोर्ट पर निर्णय दे सकते हैं. वहीं सीएम का कहना है कि अगर उन्हें विधायक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाता है तो वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.  

3 साल के लिए हेमंत को किया जा सकता है अयोग्य
विधायक सरयू राय ने ट्वीट किया कि निर्वाचन आयोग ने राज्यपाल के पास अपनी अनुशंसा भेज दी है कि हेमंत सोरेन भ्रष्ट आचरण के दोषी पाये गए हैं. इसलिए वह विधायक नहीं रह सकते. इन्हें अगले तीन साल तक विधायक का चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया जा सकता है. हालांकि कोर्ट से स्थगन आदेश नहीं मिला तो वे न्यायिक लड़ाई लड़ सकते हैं. 

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विधायकों को रांची रहने का निर्देश
झारखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है. ताजा हालात को देखते हुए कांग्रेस ने देर रात विधायक दल की बैठक बुलाई. पार्टी ने सभी विधायकों को समस्या का समाधान होने तक रांची में ही रहने को कहा है. बैठक में कांग्रेस के 18 में से 13 विधायक मौजूद थे. तीन विधायक निलंबित हैं जबकि एक की पिछले हफ्ते ही डिलीवरी हुई है. एक अन्य विधायक प्रदीप यादव बीमार हैं.  

13 असंतुष्ट विधायकों पर बीजेपी की नजर
झारखंड में चल रहे सियासी हलचल के बीच अब बीजेपी मैदान में उतर आई है. पार्टी की नजर कांग्रेस और झामुमो के असंतुष्ट विधायकों पर है. माना जा रहा है कि अगर सोरेन अपनी जगह पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री बनाते हैं तो इससे परिवार के सदस्यों के साथ ही विधायक भी नाराज हो सकते हैं. झामुमो के विधायक शराब नीति के विरोध में अपनी सरकार के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं. 

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क्या है पूरा मामला?
आरटीआई एक्टिविस्ट शिव शर्मा ने दो PIL दायर कर CBI और ED से एक माइनिंग घोटाले की जांच कराने की मांग की थी. यह मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज और शेल कंपनियों में उनके और उनके करीबियों की हिस्सेदारी से जुड़ा है. इसमें आरोप लगाया गया है कि  सीएम हेमंत ने अपने पद का दुरुपयोग कर स्टोन क्यूएरी माइंस अपने नाम आवंटित करवा लीं. इस मामले की जांच सीबीआई और ED से करवाने की मांग गई थी, जबकि सोरेन परिवार पर शैल कंपनी में इन्वेस्ट कर अकूत संपत्ति अर्जित करने का मामला है. 

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