डीएनए हिंदी: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) विधानसभा चुनाव (Assembly Election) की तारीखों का ऐलान हो गया है. राज्य की 68 विधानसभा सीटों के लिए चुनावी मैदान में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब आमने-सामने हैं. पंजाब का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से ही AAP उत्साहित है. यह राज्य पंजाब का पड़ोसी है और यहां टीम अरविंद केजरीवाल बेहद सक्रिय रही है.
हिमाचल प्रदेश में AAP की एंट्री नई है. इस राज्य में बीजेपी और कांग्रेस का ही बोलबाला रहा है. ऐसे में आम आदमी पार्टी नए तरीके से अपनी जमीन तैयार करने में जुटी है. कांग्रेस और बीजेपी के कैडर भी इस राज्य में ज्यादा हैं. अब पंजाब के संसाधनों के भरोसे, हिमाचल जीतने का प्लान टीम अरविंद केजरीवाल तैयार कर रही है.
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क्या हिमाचल प्रदेश की जनता को पसंद आएगी AAP?
AAP यह हवा बनाने में कामयाब हो गई है कि इस बार लड़ाई सिर्फ बीजेपी बनाम कांग्रेस की नहीं है बल्कि इस सियासी लड़ाई में अब एंट्री AAP की भी हो गई है. आम आदमी पार्टी ने लड़ाई की कमान सौंपी है सुरजीत ठाकुर के हाथ में. सुरजीत ठाकुर AAP के लिए सिर्फ एक चेहरा हैं. यहां की कमान संभालने खुद अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया उतर चुके हैं. हालांकि AAP की राह यहां इतनी भी आसान नहीं है.
इस राज्य के वोटरों का पारंपरिक रुझान सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी तक ही सीमित रहा है. बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर भी फिलहाल देखने को नहीं मिल रही है. ऐसी स्थिति में आम आदमी पार्टी को जड़ जमाने के लिए दो दिग्गज पार्टियों से टक्कर लेना है. पंजाब में AAP की सफलता अप्रत्याशित नहीं थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में 20 से ज्यादा सीटें जीतकर AAP वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी का तमगा हासिल कर चुकी थी. हिमाचल में 2017 में भी AAP की दाल नहीं गली थी. ऐसे में हिमाचल की राह AAP के लिए आसान नहीं है.
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क्या बीजेपी को AAP और कांग्रेस से मिलेगी चुनौती?
यह तो तय है कि हिमाचल में AAP की सीधी लड़ाई बीजेपी से नहीं बल्कि कांग्रेस से है. बीजेपी की जड़ें इस राज्य में बेहद मजबूत हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक हिमाचल का एक के बाद एक तूफानी दौरा कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फौज चुनावों के ऐलान से 6 महीने पहले ही उतार चुकी है. बीजेपी के बाद एक सधी रणनीति से इस राज्य में आगे बढ़ रही है.
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AAP के हिमाचल अध्यक्ष सुरजीत ठाकुर भले ही यह कह रहे हों कि पीएम मोदी की एक के बाद एक चुनावी रैली यह जाहिर कर रही है कि बीजेपी ने इस राज्य में कोई काम नहीं किया है. यही वजह है कि डैमेज कंट्रोल के लिए पीएम को खुद उतरना पड़ रहा है. हालात इससे अलग हैं. बीजेपी हर चुनावी राज्य में पीएम मोदी की रैलियों की संख्या बढ़ा देती है. जेपी नड्डा खुद हिमाचल प्रदेश से हैं. ऐसे में उनकी पकड़ राज्य में पहले से ही है. यह उनका होम ग्राउंड है, जिसकी हर नब्ज से वे वाकिफ हैं.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर खुद बेहद सक्रिय नेताओं में शुमार हैं. उनके खिलाफ अभी राज्य में सत्ता विरोधी लहर पनपी नहीं है. ऐसे में कांग्रेस के लिए ही इस राज्य में राह आसान नहीं है, AAP तो यहां तीसरे नंबर की भी पार्टी नहीं है.
क्या कांग्रेस से ही भिड़ती रह जाएगी AAP?
जिन-जिन राज्यों में बीजेपी मेजर पार्टी है और कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल, वहां AAP की राह आसान नहीं है. गोवा से लेकर उत्तराखंड तक यही हाल, हालिया विधानसभा चुनावों में नजर आया था. एक तरफ बीजेपी के पास जहां सधा हुआ प्लान है, वहीं कांग्रेस जरूर बिखरी-बिखरी नजर आ रही है. बाकी राज्यों की तरह कांग्रेस यहां भी अंदरुनी राजनीति का शिकार है.
यहां की सियासी लड़ाई कांग्रेस चुनाव समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह के बीच है. टिकट बंटवारों को लेकर भी पार्टी के भीतर कलह की स्थिति है. कांग्रेस की कमजोरी AAP की राह जरूर आसान कर सकती है. राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं. उनके कार्यक्रम का शेड्यूल ऐसा है कि जब तक वह यात्रा करेंगे, हिमाचल प्रदेश का चुनाव बीत चुका होगा. हिमाचल में चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को ही आ जाएंगे जबकि उनकी यात्रा जनवरी 2023 तक खत्म होगी. यात्रा छोड़कर राहुल गांधी हिमालच प्रदेश में नहीं आने वाले हैं.
सोनिया गांधी अब सक्रिय राजनीति में उतरती नहीं है. प्रियंका गांधी हिमाचल प्रदेश के चुनावी मिशन पर हैं लेकिन दौरा देखकर लगता है कि वह पार्ट टाइम राजनीति में हैं. कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में शशि थरूर जीतें या मल्लिकार्जुन खड़गे, दोनों की लोकप्रियता इतनी नहीं है कि वे हिमाचल प्रदेश का चुनाव कांग्रेस के पक्ष में कर ले जाएं. ऐसी स्थिति में AAP को यहां पनपने का मौका जरूर मिल सकता है.
हिमाचल प्रदेश में कब हैं चुनाव, कब आएंगे नतीजे?
चुनाव आयोग, चुनाव से संबंधित अधिसूचना 17 अक्टूबर को जारी करेगा. नामांकन की अंतिम तारीख 25 अक्टूबर होगी. 27 अक्टूबर को नामंकन की छंटनी होगी. उम्मीदवार अपना नामांकन 29 अक्टूबर तक वापस ले सकेंगे. वोटिंग 12 नवंबर को होगी. 8 दिसंबर को चुनाव के नतीजे आएंगे.
कौन सी पार्टी कितनी मजबूत?
हिमाचल प्रदेश की सबसे मजबूत पार्टी फिलहाल भारतीय जनता पार्टी है. बीजेपी की इस राज्य में 44 सीटें हैं. कांग्रेस के पास 21 सीटें हैं. 2 निर्दलीय भी चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे, जिनका समर्थन अब बीजेपी के साथ है. दोगुणी से ज्यादा सीटें हासिल करने वाली बीजेपी के सामने न तो कांग्रेस ठहरती है, न ही आम आदमी पार्टी. देखने वाली बात यह है कि पंजाब में मिली जीत को भुनाने में AAP, हिमाचल प्रदेश में कामयाब हो पाती है या नहीं. कांग्रेस की भी राह आसान नजर नहीं आ रही है.
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