डीएनए हिंदी: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में एकतरफा जीत हासिल करने वाली कांग्रेस ने चुनावों में कई बड़े वादे किए हैं. अब उन वादों को पूरा करना सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) के लिए एक बड़ी चुनौती है. पहला वादा पूरा करने के तहत ही पुरानी पेंशन योजना को सुक्खू सरकार ने एक बार फिर लागू कर दिया है लेकिन सवाल यह है कि यह जमीन पर कैसे लागू होगा क्योंकि हिमाचल प्रदेश सरकार कंगाली की कगार पर खड़ी हो गई है. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर कैसे सुक्खू सरकार कैसे चुनावी वादों को पूरा कर पाएगी.
दरअसलस, सुखविंदर सिंह सुक्खू कैबिनेट के उद्योग विभाग के मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने खुलासा किया है कि प्रदेश का सरकारी खजाना खाली है. उन्होंने बताया है कि राज्य सरकार के पास रोजमर्रा के खर्चों को चलाने तक के लिए पैसे नहीं हैं. इसके चलते ही सरकार वित्तीय संसाधन जुटाने के साथ-साथ अपने राजस्व खर्चों को कम करने की प्लानिंग में लगी हुई है.
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जानकारी के मुताबिक हिमाचल पर करीब 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. ऐसे में राज्य सरकार ने एक बड़ा ऐलान करते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू करने की बात कही थी लेकिन इससे राज्य सरकार पर 800 से 900 करोड़ का वित्तीय बोझ पड़ने वाला है. इस पैसे को सरकारी तंगी के बीच से निकालना सुक्खू सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है.
बता दें कि इस वित्तीय चुनौतियों के बीच ही हिमाचल सरकार को कर्मचारियों का 11 हजार करोड़ रुपए के एरियर का भी भुगतान करना है. ऐसे में अब सरकार 1500 करोड़ रुपये का कर्ज भी लेने वाली है. सुक्खू सरकार ने राजस्व को बढ़ाने के लिए मंत्रियों और अधिकारियों के खर्चों में कटौती करने की ओर कदम बढ़ाया है.
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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंत्रियों को एक महीने में रिपोर्ट देने को कहा है कि उनके विभागों में खर्चे कैसे कम किए जाएं और राजस्व को कैसे बढ़ाया जाए जिससे जल्द से जल्द उन उपायों को लागू किया जा सके.
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