Himachal Pradesh Election 2022: घर में ही पटकनी खा गए अनुराग ठाकुर, हमीरपुर में नहीं मिली 1 भी सीट, यह है इनसाइड स्टोरी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 09, 2022, 02:39 PM IST

हिमाचल प्रदेश का हमीरपुर अनुराग ठाकुर का गढ़ है. इसी गढ़ में बीेजेपी कांग्रेस से बुरी तरह हारी है.

हिमाचल प्रदेश में अनुराग ठाकुर अपने गढ़ में भारतीय जनता पार्टी को एक भी सीट दिलाने में फेल रहे हैं. आइए जानते हैं क्या हैं प्रमुख वजहें.

डीएनए हिंदी: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेताओं में शुमार होते हैं. चुनावी राज्यों में उनके बयान हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. पार्टी के स्टार प्रचारकों में भी उन्हें जगह दी जाती है. अनुराग ठाकुर बीजेपी के उन महत्वाकांक्षी नेताओं में शुमार हैं, जिनकी लोकप्रियता हर राज्य में है. वह हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले से आते हैं. इसी जिले के अतंर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन शून्य रहा है. 5 की 5 सीटें, बीजेपी ने गंवा दी हैं. 

अनुराग ठाकुर के पिता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल हमीरपुर से ही विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. पार्टी ने उनकी मांग खारिज कर दी. उनके चाहने के बाद भी टिकट नहीं दिया गया. प्रेम कुमार की कद का ही नतीजा है कि अनुराग ठाकुर केंद्रीय कैबिनेट में शामिल हैं लेकिन बीजेपी पर उनका टिकट काटना बेहद भारी पड़ा है.

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क्या है हमीरपुर हारने की इनसाइड स्टोरी?

प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश के 2 बार मुख्यमंत्री रहे हैं. 2017 के चुनाव में सुजानुर विधानसभा सीट से प्रेम कुमार हार गए थे. बीजेपी ने उनके खिलाफ उठी लहर को देखते हुए 2022 में भी टिकट नहीं दिया. 2017 में प्रेम कुमार धूमल ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे. उनके समर्थकों को 2022 का फैसला रास नहीं आया और पूरे जिले में इसका असर साफ नजर आया. 

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अनुराग ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान अपने जिले में अच्छा वक्त बिताया है. उन्होंने इस चुनाव में एक के बाद कई रैलियां कीं लेकिन नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं आए. खुद प्रेम कुमार धूमल भी 78 साल की उम्र में चुनाव प्रचार करने उतरे लेकिन जमीन दरक चुकी थी. 

कहीं ओल्ड पेंशन स्कीम ने तो नहीं बिगाड़ा हमीरपुर का खेल?

ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कांग्रेस की आक्रामक राजनीति ने बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया. प्रेम कुमार धूमल ने भी कहा था कि पुरानी पेंशन योजना बहाल कर देनी चाहिए. चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए यह स्कीम दोबारा शुरू कर देनी चाहिए. पार्टी ने ऐसा कोई वादा किया न ही इरादा दिखाया. इस जिले में भी ओल्ड पेंशन स्कीम पर बहस हुई और बीजेपी नेताओं की अंसतुष्टि जमीन पर नजर आई. कांग्रेस पुराने पेंशन स्कीम को लागू करने के ऐलान पर अड़ी रही और नतीजे बीजेपी के खिलाफ चले गए.

हमीरपुर की जनता ने केंद्रीय योजनाओं से नहीं किया कनेक्ट

कांग्रेस ने कहा था कि अगर हमारी सरकारी बनी तो ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की जाएगी. बीजेपी इस स्कीम के समर्थन में नहीं है. बीजेपी की ओर से जनवादी पहल नहीं की गई, जिसने पूरे हिमाचल प्रदेश में बीजेपी का खेल खराब किया. अनुराग ठाकुर की कैंपनिंग भी इस जिले में काम नहीं आई. 

वह वन रैंक वन पेंशन, बुलेटप्रूफ जैकेट, अनुच्छेद 379 और राफेल जैसे मुद्दों पर बात करते रहे, जिससे जनता कनेक्ट नहीं कर पाई. हमीरपुर में बीजेपी की हार की एक वजह यह भी है. बीजेपी ने उन्हीं मुद्दों का जिक्र किया, जिसका बात यूपी चुनावों में हो चुकी थी. पहाड़ी राज्य में ये योजनाओं ही बीजेपी को बैकफुट पर लेकर आ गईं.  

और 5 सीटों पर कांग्रेस को नहीं मिली एक भी सीट

हमीरपुर की 5 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का खाता तक नहीं खुला. सुजानपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के मौजूदा विधायक राजिंदर सिंह जीत गए. भोरंज विधासनसभा सीट पर सुरेश कुमार विजयी हुए. नादौन से सुखविंदर सुक्खू ने चुनाव जीत लिया. हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से आशीष शर्मा चुनाव जीत गए. बड़सर सीट से कांग्रेस के इंदर दत्त लखनपाल ने जीत दर्ज की. इन सीटों पर जीत का अंतर बेहद कम रहा है पर अनुराग ठाकुर के गृह जनपद में हार को अनुराग ठाकुर पचा नहीं पा रहे हैं. पार्टी में उनके कद पर इसका असर हो सकता है.

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