डीएनए हिंदी: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Floods) में कुदरत का कहर थम नहीं रहा है. पिछले कुछ समय से लगातार हो रही बारिश ने लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. भारी बारिश के चलते लैंडस्लाइड की घटनाएं बढ़ रही हैं. वहीं, नदी-नाले भी खतरे के निशान से ऊपर बह रहे हैं. राज्य में पिछले चार दिन में 74 लोगों की मौत हो चुकी है. मानसून शुरू होने के बाद से 55 दिनों में राज्य में 113 भूस्खलन हुए हैं. जिनमें कुल मौतों का आंकड़ा 217 पहुंच गया है. जबकि 38 लोग लापता हैं.
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जानकारी के मुताबिक, शिमला में अकेल 21 लोग जान गंवा चुके हैं. जिसमें समर हिल में शिव मंदिर भी शामिल है. शिमला में भूस्खलन की चपेट में आए शिव मंदिर के मलबे में दबे शवों का निकलना अभी जारी है. गुरुवार को बचावकर्मियों ने एक और शव को निकाला. जबकि चंबा में दो और लोग मारे गए. समर हिल में रेलवे ट्रैक का एक हिस्सा बह गया है, जिससे ट्रैक हवा में लटक गया है. राज्य में अब तक 10,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का नुकसान हो चुका है. इसमें लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के 2,491 करोड़ रुपये और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान शामिल है.
हिमाचल में अबतक 217 लोगों की मौत
विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ों में लगातार हो रहे भूस्खलन की वजह हिमालय में अवैज्ञानिक निर्माणों, घटते वन क्षेत्र और जलधाराओं के पास संरचनाओं के कारण है, जो पानी के प्रवाह को अवरुद्ध करते हैं. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शुक्रवार को शिमला, सोलन, मंडी, चंबा और आसपास के इलाकों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है. राज्य में 13 अगस्त से लगातार बारिश हो रही है. 24 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से हिमाचल प्रदेश में बारिश से संबंधित घटनाओं में कम से कम 217 लोगों की मौत हो गई है.
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लैंडस्लाइड में खत्म हो गई 3 पीढ़ियां
हिमाचल में विनाशकारी बारिश ने न केवल बुनियादी ढांचे को नष्ट किया है, बल्कि लोगों की जिंदगी को भी उजाड़ दिया है. शिमला मंदिर में हुए भूस्खलन में मरने वाले लोगों में 7 लोग एक ही परिवार से थे. जिनमें तीन बच्चे भी थे. जिनमें उनकी तीन पीढ़ियां खत्म हो गईं. अधिकारियों ने बताया कि जिस समय लैंडस्लाइड का मलबा शिव मंदिर पर गिरा था, उस वक्त पूरा परिवार मंदिर के अंदर था. सावन का सोमवार होने की वजह से पूरा परिवार मंदिर में पूजा करने गया था.
परिवार को खोने का छलका दर्द
घटना में मारे गए परिवार के एक व्यक्ति का कहना है कि मरने वालों में मेरा भाई, भाभी, उनके तीन बच्चे और मेरी बेटी भी शामिल है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के अभी शव नहीं मिले हैं. बचावकर्मी शवों को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. कम से कम मैं उनका अंतिम संस्कार करना चाहता हूं.
2 दिन में 2,000 लोगों का रेस्क्यू
सेना, वायु सेना और अन्य बचाव कर्मियों ने बाढ़ प्रभावित कांगड़ा जिले के फतेहपुर और इंदौरा के पोंग बांध से 309 लोगों को निकाला है. पिछले तीन दिनों में इन इलाकों से 2074 लोगों को निकाला गया है. अधिकारियों ने कहा कि राज्य में 875 सड़कें अवरुद्ध हैं और 1,135 ट्रांसफार्मर और 285 जल आपूर्ति योजनाएं बाधित हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मॉनसून में भारी बारिश से क्षतिग्रस्त हुए बुनियादी ढांचों के पुननिर्माण में एक साल का समय लगेगा. सुक्खू ने कहा था कि पिछले महीने जुलाई और इस सप्ताह हुई भारी बारिश की वजह से राज्य में अनुमानित 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़कों और जल परियोजनाओं के पुनर्निर्माण में समय लगता है, लेकिन सरकार इस प्रक्रिया में तेजी ला रही है.
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