2024 लोकसभा चुनावों में एनडीए के सत्ता में आने और जेपी नड्डा के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी खाली है. दावेदार कई हैं तो कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी के अंदर होने वाला ये चुनाव कई मायनों में खास होगा. अभी कुछ ऑफिशियल नहीं है लेकिन माना यही जा रहा है कि एक संगठन के रूप में जल्द ही भाजपा को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा.
तमाम नियम और शर्तें ऐसी हैं जिनका पालन उस व्यक्ति को करना पड़ता है जो भाजपा में अध्यक्ष बनना चाहता है.आइये जानें क्या हैं ये नियम और शर्तें और क्यों भाजपा का अध्यक्ष बनना इतना भी आसान नहीं है.
बताते चलें कि बीजेपी के संविधान में धारा 19 के तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है. पार्टी में एक20 सदस्यों वाला निर्वाचक मंडल होता है, जिसमें राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद के सदस्य होते हैं. ये लोग राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की योग्यता रखने वाले व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव रखते हैं और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है.
लेकिन इससे पहले पार्टी द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर सदस्यता अभियान चलेगा और इसी के फ़ौरन बाद एक्टिव मेंबर का सदस्यता अभियान चलेगा जिसमें सभी भाजपा नेता एक्टिव सदस्य का फार्म भर अपना सत्यापन करवाते हैं.
बात चुनाव की चल रही है तो ध्यान रहे कि पहले भाजपा की स्थानीय इकाइयों, फिर जिला अध्यक्ष उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष और सबसे अंत में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है.
जैसा कि हम ऊपर ही इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना मुश्किल टास्क है. इसलिए ये बता देना भी बहुत जरूरी है कि ऐसे व्यक्ति को पार्टी का सक्रिय सदस्य होना चाहिए. उम्मीदवार कम से कम 4 साल तक पार्टी का सक्रिय सदस्य रहा हो और उसने 15 सालों तक पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की हो.
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